महिलाओं के सम्मान और परंपराओं का प्रतीक काशी का यह पूजा पंडाल, निभाई जाती है ये विशेष रस्म

महादेव की नगरी काशी में शारदीय नवरात्रि पर्व की धूम है. शहर में जगह-जगह अलग-अलग थीम पर भव्य दुर्गा पूजा पंडाल बनाए जा रहे है. कहीं सर्वेद मंदिर, तो कहीं  वृंदावन के प्रेम मंदिर की थीम पर पूजा पंडाल सजाया जा रहा है

महिलाओं के सम्मान और परंपराओं का प्रतीक काशी का यह पूजा पंडाल, निभाई जाती है ये विशेष रस्म

इनपुट - तनीषा श्रीवास्तव 

वाराणसी, भदैनी मिरर। महादेव की नगरी काशी में शारदीय नवरात्रि पर्व की धूम है. शहर में जगह-जगह अलग-अलग थीम पर भव्य दुर्गा पूजा पंडाल बनाए जा रहे है. कहीं सर्वेद मंदिर, तो कहीं  वृंदावन के प्रेम मंदिर की थीम पर पूजा पंडाल सजाया जा रहा है. वहीं दुर्गाकुंड स्थित दुर्गेश दुर्गेश स्पोर्टिंग क्लब, दुर्गाकुंड की दुर्गा पूजा अपने आप में एक अनोखी परंपरा की मिसाल है, यह पंडाल सजीव मूर्तियों, भव्य सजावट और उत्कृष्ट कला का उदाहरण होता है.

क्लब के अध्यक्ष शिवदास मौर्य ने बताया कि यह क्लब हर साल कुछ अलग और खास तरीके से दुर्गा प्रतिमा का पूजन करता है, जिसे बनारस के लोग बड़े चाव से देखने आते हैं। इस क्लब की स्थापना से ही एक महत्वपूर्ण परंपरा चली आ रही है कि हर वर्ष पूजा पंडाल में स्थापित मूर्ति की ऊंचाई में कुछ फीट की वृद्धि की जाती है. इस परंपरा का उद्देश्य न केवल मां दुर्गा की शक्ति का विस्तार दर्शाना है, बल्कि श्रद्धालुओं को हर बार कुछ नया देखने और अनुभव करने का अवसर देना भी है.

इस पूजा पंडाल की सबसे खास बात यह है कि यह बनारस का इकलौता ऐसा पंडाल है, जहां महिलाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है. यहां हर साल दुर्गाष्टमी के दिन एक रस्म निभाई जाती है, जिसे 'खोईचा' देना कहते हैं. इस रस्म के तहत महिलाओं को उपहार स्वरूप खोईचा, यानी एक पारंपरिक वस्त्र या सामग्री दी जाती है, जो उनके सम्मान और समृद्धि का प्रतीक होती है. यह प्रथा बनारस के अन्य पंडालों से इसे अलग और विशिष्ट बनाती है.

हर साल दुर्गेश स्पोर्टिंग क्लब का पंडाल सजीव मूर्तियों, भव्य सजावट और उत्कृष्ट कला का उदाहरण होता है. यहां की दुर्गा प्रतिमा की भव्यता और उसके आसपास की सजावट पर्यटकों और श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है. बता दें, 11 अक्टूबर को इस क्लब द्वारा कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया है.