ज्ञानवापी परिसर का सातवें दिन सर्वे खत्म: सर्वे रुकवाने फिर जिला जज की अदालत में पड़ी अर्जी, मीडिया कवरेज पर कोर्ट ने दिया यह आदेश...

जिला जज और हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई टीम सातवें दिन मंगलवार को भी ज्ञानवापी परिसर का कोना-कोना सर्वेक्षण की. उधर मसाजिद कमेटी सर्वे रुकवाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा दी है. कोर्ट ने मीडिया कवरेज को लेकर भी कड़ा रुख अख्तियार किया है.

ज्ञानवापी परिसर का सातवें दिन सर्वे खत्म: सर्वे रुकवाने फिर जिला जज की अदालत में पड़ी अर्जी, मीडिया कवरेज पर कोर्ट ने दिया यह आदेश...

वाराणसी, भदैनी मिरर। ज्ञानवापी परिसर के सातवें दिन बुधवार का ASI ने सर्वे पूरा कर गुरुवार के लिए टीम को अलर्ट कर दिया. अब गुरुवार को भी टीम अपने निर्धारित समय से सर्वे का काम शुरु करेगी. ज्ञानवापी परिसर में ग्राउंड पेनेट्रेटिक रडार (जीपीआर) सर्वे के लिए आईआईटी कानपुर की टीम का इंतजार किया जा रहा है. फिलहाल एएसआई टीम वैज्ञानिक विधि से अपना सर्वे का काम जारी रखेगी. बुधवार को भी लंच और नमाज के लिए साढ़े बारह से ढाई बजे तक सर्वे का काम रुका था.

उधर, ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सदस्य बुधवार को फिर अदालत पहुंचे. जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल की. इस याचिका पर वादी हिंदू पक्ष 17 अगस्त को आपत्ति दाखिल करेगा. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में पांच बिदुओं को आधार बनाते हुए सर्वे रोकने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि जिन चार महिलाओं की याचिका पर जिला जज ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था, उन्होंने सर्वे में आ रहे खर्च की फीस नहीं जमा की है। यह सर्वे बिना फीस जमा किए ही हो रहा है. मुस्लिम पक्ष ने इसे सिविल रूल के खिलाफ बताया. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में कहा है कि महिला वादियों को लिखित रूप से सर्वे की जानकारी भी नहीं दी गई. जो सर्वे हो रहा है वह कानूनी प्राविधान के विपरीत है. इस याचिका पर वादी महिलाओं के अधिवक्ता की तरफ से आपत्ति जताई गई है.

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने पत्रकारों को बताया कि जिला अदालत में मीडिया कवरेज और सर्वे की फीस वाले मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई. जज ने निर्देश दिए कि सर्वे वाले स्पॉट पर जाकर किसी प्रकार की रिपोर्टिंग नहीं होगी. एएसआई के लोग ही मीडिया को कोई रिपोर्ट देंगे. ऐसे विषय सोशल मीडिया पर भी नहीं चलने चाहिए, जिससे शांति भंग की आशंका हो.