पराड़कर भवन में इकट्ठा हुए 14 राज्यों के गांधी विचारधारा के लोग, सर्व सेवा संघ की लड़ाई पर बनाई रणनीति...

अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर बुधवार को पराड़कर भवन स्मृति में जन प्रतिरोध सम्मेलन किया गया. यह सम्मेलन राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ की लड़ाई पर रणनीति बनाने के लिए आयोजित हुई.

पराड़कर भवन में इकट्ठा हुए 14 राज्यों के गांधी विचारधारा के लोग, सर्व सेवा संघ की लड़ाई पर बनाई रणनीति...

वाराणसी, भदैनी मिरर। मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर बुधवार को जन प्रतिरोध सम्मेलन किया गया. महात्मा गांधी, विनोबा भावे, जेपी की ऐतिहासिक विरासत सर्व सेवा संघ की जमीन पर कब्जा के खिलाफ लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए जन प्रतिरोध सम्मेलन का विस्तार किया गया. इस सम्मेलन में पूर्वांचल सहित कई अन्य राज्यों से गांधी विचार धारा के लोग उपस्थित हुए. इस दौरान उपस्थित लोगों ने अपने-अपने विचार रखते हुए, निर्णायक लड़ाई लड़ने का फैसला किया. वक्ताओं ने कहा की हम रणनीति के तहत इस लड़ाई को लड़ेंगे, 60 साल से अधिक ऐसी विरासत को जिला प्रशासन ने जबरन खाली करवाया है जो अध्ययन और तपस्या की एक स्थली थी.

सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे राम धीरज ने बताया की यह सम्मेलन सर्व सेवा संघ की जमीन को लेकर उत्पन्न हुए विवाद जिसे हमने सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़कों पर उतरकर लड़ रहे हैं क्योंकि हमे सरकार ने वहाँ से हटा दिया है. आज देश भर के गांधी विचार को मानने वाले लोग इकट्ठा हुए है जो सताए गए हैं उन्होंने लड़ाई की रणनीति तैयार की है.

उन्होंने बताया की न्यायायलय ने हमे राहत दी है. डीएम और एसडीएम ने जो फैसला सुनाया है वह उनके कार्यक्षेत्र के बाहर है. यह सिविल कोर्ट का मैटर है हमें वहां जाने को कहा गया है. हम इससे प्रसन्न हैं कि अब हमारी बात न्यायालय में सुनी जाएगी. हमारे पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं, जो हम न्यायालय में दिखाएंगे. हमे पूरा यकीन है कि हमें न्याय और हमारा परिसर दोनों मिलेगा. इस सम्मेलन में उड़ीसा, महाराष्ट्र, पांडिचेरी, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत 14 राज्यों से लोग आये शामिल हुए. उन्होंने बताया की इसका उद्देश्य है कि जो सर्व सेवा संघ का आश्रम है, गांधी विचार को देशभर में फैलने को लिए है. इन्होंने हमारे प्रकाशन को बंद कर दिया है, लाइब्रेरी की किताबें भी बाहर फेंक दी गई हैं. हमने मांग किया है कि हमारा कैम्पस हमें वापस दिया जाए ताकि हम गांधी विचार फैला सकें.