धोती-कुर्ता और त्रिपुंड लगाए बटुकों ने खेला क्रिकेट, संस्कृत में हुई कमेंट्री...

धोती-कुर्ता और त्रिपुंड लगाए बटुकों ने खेला क्रिकेट, संस्कृत में हुई कमेंट्री...

वाराणसी/भदैनी मिरर। क्रिकेट मैच में हिंदी और अंग्रेजी की कमेंट्री तो सभी ने सुनी होगी लेकिन शायद ही किसी ने संस्कृत कमेंट्री के साथ क्रिकेट देखा सुना या खेला होगा। जी हां गुरुवार को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान पर एक अनूठा दृश्य देखने को मिला। हाथों में सदैव वेद व संस्कृत ग्रंथ रखने वाले बटुक खिलाड़ी अपने परंपरिक गणवेश धोती व कुर्ता में टीका-त्रिपुण्ड लगाकर मैदान पर क्रिकेट खेलने उतरे थे। दशाश्वमेध स्थित श्री शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 77वें स्थापना दिवस के अवसर पर संस्कृत क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसके सारे नियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के जैसे ही थे लेकिन कमेंट्री पूरी तरह संस्कृत भाषा में थी। 

पूरा खेल मैदान  कंदुक प्रक्षेपक: कन्दुकं प्रक्षिपति तदा फलक ताडकत्वेन तीव्रगत्या प्रहरति, कन्दुकं आकाश मार्गेण गच्छन्,सीमा रेखात: बहिर्गतम् षड धावनाकेंन कोष: उद्घाटितवान् की कमेंट्री से गूंज रहा था।

सभी खिलाड़ियों में मैच जीतने का काफी जोश था। मैच का उद्घाटन शास्त्रार्थ महाविद्यालय के प्राचार्य व संयोजक डा.गणेश दत्त शास्त्री ने बटुक खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर किया। इस अवसर पर क्रिकेट प्रतियोगिता के संयोजक शास्त्रार्थ महाविद्यालय के राष्ट्रपति पुरस्कृत प्राचार्य डा.गणेश दत्त शास्त्री ने कहा कि प्रतिवर्ष स्थापना दिवस के अवसर  पर यह प्रतियोगिता छात्रों के उत्साहवर्धनार्थ किया जाता है। प्रतियोगिता में आचार्य विकास दीक्षित व डा.राघवशरण मिश्र ने भी बीच-बीच में संस्कृत में कमेंट्री की। कुछ देर अंग्रेजी में भी कमेंट्री डा.अशोक पांडेय ने की। 

 मुख्य कमेंटेटर शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 65 वर्षीय वयोवृद्ध वरिष्ठ आचार्य डा.शेषनारायण मिश्र थे जो जोरदार  और लगातार संस्कृत में कमेंट्री कर रहे थे। ऐसा मानो जैसे खेल मैदान में शास्त्रार्थ चल रहा हो। मैच में अम्पायरिंग करने वाले पूर्व खिलाड़ी धीरज मिश्र व अनुज तिवारी भी भगवा धोती,दुपट्टा व रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए थे। मैच के दौरान बटुक खिलाड़ियों ने कोरोना से बचाव के लिए दो गज दूरी मास्क है जरूरी का नारा भी लगाते रहे। 

वहीं इस दौरान शास्त्रार्थ महाविद्यालय के आचार्य पवन कुमार शास्त्री ने बताया की प्रतिवर्ष महाविद्यालय द्वारा इस अनूठी क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता जाता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन करने का एक उद्देश्य यह भी होता है कि समाज को एक संदेश दिया जाता है ये जो बटुक अपने पारम्परिक गणवेश में खेल मैदान में उतरे हैं हमेशा इनके हाथों में वेद और ग्रंथ देखे जाते हैं जो पूजा पाठ का प्रतीक ही माना जाता है। लेकिन इन्हें यदि मौका दिया जाय तो यह खेल में भी अपना चमत्कार दिखा सकते हैं।
 
 बता दें कि प्रतियोगिता में जनपद के चार टीमों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर प्रो.हरि प्रसाद अधिकारी, डा.माधुरी पांडेय, डा.उमाशंकर त्रिपाठी, आचार्य चूड़ामणि शास्त्री, डा.अशोक पांडेय, आमोद दत्त शास्त्री, श्रीराम पांडेय, बृजेश शुक्ला, शुभम शर्मा ,क्रीड़ाधिकारी लालजी मिश्रा आदि उपस्थित थे। पूरे मैच का संयोजन व सफल संचालन महाविद्यालय के साहित्य विभागाध्यक्ष आचार्य पवन शुक्ला ने किया ।