दरगाह-ए-फातमान पर शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई पुण्यतिथि

सिगरा स्थित दरगाह ए फातमान में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 17 वीं पुण्यतिथि  अकीदत के साथ मनाई गई

दरगाह-ए-फातमान पर शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई पुण्यतिथि

वाराणसी, भदैनी मिरर। सिगरा स्थित दरगाह ए फातमान में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 17 वीं पुण्यतिथि  अकीदत के साथ मनाई गई। पुण्यतिथि पर उस्ताद की कब्रगाह पर उनके परिवार के सदस्यों के अलावा पूर्व विधायक अजय राय के पुत्र शांतनु राय, कांग्रेस नेता प्रमोद वर्मा, हाजी हसन इफ्तिखार हुसैन, नजमुल हसन, अफाक हैदर समेत तमाम लोग पहुंचे और अकीदत के फूल चढ़ाए। इसके बाद दुआख्वानी कर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। 

इस मौके पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां फाउंडेशन के प्रवक्ता शकील अहमद जादूगर ने कहा कि उस्ताद हमारे नही देश की धरोहर थे। काशी में पले-बढ़े और सादगी भरा जीवन व्यतीत किया। उनके अंदर बनारसीपन कूट-कूट कर भरा था। संगीत के क्षेत्र में उस्ताद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 

देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश जब आजाद हुआ तो लालकिले पर उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने ही शहनाई बजाई थी। उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री समेत देश की आजादी में सभी महापुरूष वहां मौजूद थे। आज अमृत महोत्सव पर देश की आजादी की धुन बजानेवाले की कब्र पर कोई जनप्रतिनिधि नही आया। हालांकि उस्ताद मोहर्रम पर काशी में मातमी धुन बजाते थे। उनकी कृतियां अमर हैं। उनकी इस तरह से सरकारी उपेक्षा को ठीक नही कहा जा सकता।