ब्राम्हण कार्ड खेल गए सतीश मिश्रा: केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर बरसे, बोले शिव पंचायत और अक्षयवट को तोड़ा गया क्यों चुप रहे काशी के पंडित!
वाराणसी,भदैनी मिरर। यूपी में अब चुनावी शंखनाद हो गया है। जातिगत वोटरों को साधने की कवायद भी शुरु हो गई है। ब्राम्हणों को साधने के लिए मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा वाराणसी में थे। इस दौरान उन्होंने मोदी और योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। कचहरी स्थित रामाश्रय वाटिका में आयोजित विचार संगोष्ठि में श्री काशी विश्वनाथ कॉरीडोर निर्माण को लेकर भी बसपा के ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा ने जमकर अपनी भड़ास निकाली।
मजबूत किस्म के ब्राम्हणों को सरकार ने मरवाया
विचार संगोष्ठी के बहाने सतीश मिश्रा ने खुलकर ब्राम्हणों को लुभाने की कोशिश की। सतीश मिश्रा ने कानपुर के बिकारु कांड को लेकर कहा कि जिस औरत के हाथों की मेहंदी भी नहीं सुखी थी उसका जमानत नहीं होने दिया जा रहा है। कहा कि कानपुर के आसपास जो भी समाज में मजबूत किस्म के ब्राम्हण थे उन्हें यह सरकार सुनियोजित तरीके से मरवा दिया या जेल में डालकर प्रताड़ित किया जा रहा है। सतीश चंद्र मिश्रा ने रायबरेली, मिर्जापुर, गोरखपुर, प्रयागराज, महोबा में ब्राह्मण समाज के लोगों की हत्याओं को सरकार का षडयंत्र बताया।
विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर तोड़े पौराणिक मंदिर
श्री काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के विस्तारीकरण और सुंदरीकरण के नाम पर काशी की पौराणिक संस्कृति को खत्म करने का षडयंत्र का आरोप लगाते हुए सतीश मिश्र ने कहा कि मणिकर्णिका घाट जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है उसे समाप्त करने का काम कॉरीडोर के नाम पर किया जा रहा है। साथ ही इस इलाके में विस्तारीकरण और सुंदरीकरण के नाम पर सैकड़ों दुकानों को तोड़ दिया गया है, जिसके चलते वहां कितने ही लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो गयी। सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि आज जब मैं काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने पहुंचा तो वहां का रूप देखकर बहुत परेशान हुआ। यहां प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर के चारों कोनो पर एक शिव पंचायत मंदिर हुआ करता था। वहां पार्वती मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, अविमुक्तेश्वर मंदिर, वट वृक्ष, पौराणिक आठ विनायक मंदिरों को तोड़ दिया गया। मगर काशी का ब्राह्मण समाज इसे क्यों देखता रहा गया, क्यों काशी के पंडित चुप रहे। वहां पर सैकड़ों हजारों वर्ष पुराने वट वृक्ष को उखाड़कर फेंक दिया गया, उस वट वृक्ष को, जिसपर त्रिदेव का वास माना जाता है। आद्यशंकराचार्य जी से शास्त्रार्थ करने वाले मंडन मिश्र की जी की प्रतिमा को तोड़ दिया गया। भारत और नेपाल के मैत्री की निशानी पशुपतिनाथ मंदिर का रास्ता रोक दिया गया। सैकड़ों मंदिर सहित काशी खंडोक्त 167 देवालयों को कॉरीडोर के नाम पर तोड़ दिया गया। 56 विनायक यात्रा, पंचमोद विनायक यात्रा, एकादश रुद्र यात्रा, अंतरगृही यात्रा, शिवअंग यात्रा सहित 15 तरह की यात्राओं को अवरुद्ध कर दिया गया। यहां तक कि कॉरीडोर का मलवा गंगा जी में डालकर उसे पाटने का काम किया जा रहा है। सैकड़ों की संख्या में शिवलिंग गंगा नदी में डाल दिया गया। अफसोस की वाराणसी के लोग शांत और चुप बैठे हैं। ये क्या अन्याय यहां हो रहा है। काशी में गंगा जी के अर्द्ध चंद्राकार रूप को खत्म करने का षडयंत्र किया जा रहा है इसलिये क्योंकि प्रधानंमंत्री की बोट उसी रास्ते से आ-जा सके। सतीश चंद्र मिश्रा ने ब्राह्मण समाज के लोगों से कहा कि भले ही सरकार के पास बुलडोजर है, मगर इनसे अब डरने का समय नहीं है। अब इनके खिलाफ नहीं उठ के खड़े होंगे तो आप भगवान परशुराम के वंशज नहीं है। इन लोगों ने आपको धर्म के नाम पर बहुत धोखा दे दिया है।