5 साल से षड्यंत्र के तहत गुमशुदा अरविंद उपाध्याय को सारनाथ पुलिस ने किया गिरफ्तार, संपत्ति में हिस्सा न देने के लिए माता और पिता संग बनाई थी योजना...
Sarnath police arrested Arvind Upadhyay who was missing for 5 years under conspiracy5 साल से षड्यंत्र के तहत गुमशुदा अरविंद उपाध्याय को सारनाथ पुलिस ने किया गिरफ्तार, संपत्ति में हिस्सा न देने के लिए माता और पिता संग बनाई थी योजना...
वाराणसी,भदैनी मिरर। सारनाथ पुलिस ने पिछले 5 सालों से फर्जी तरीके से गायब होने का नाटक करने वाले अरविंद उपाध्याय को सारनाथ थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह के नेतृत्व में क्राइम टीम ने आजमगढ़ से सकुशल बरामद कर लिया है। पुलिस ने शासय योजनाबद्ध तरीके से छल व रिष्टि के उद्देश्य से योजना में शामिल होकर गुमशुदगी की फर्जी प्रार्थना पत्र तैयार कर झूठी सूचना देने और न्यायालय और पुलिस से बराबर तथ्य छुपाने के आरोप में पुलिस ने अरविंद उपाध्याय निवासी चनैता थाना अतरौलिया जनपद आजमगढ़, उसके पिता लक्ष्मी शंकर उपाध्याय, उसकी माता राधिका देवी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर अरविंद को जेल भेज दिया।
पत्नी को हर्जाना देने से बचने के लिए रचा षड्यंत्र
एडीसीपी वरुणा जोन प्रबल प्रताप सिंह ने पत्रकारवार्ता में बताया कि आरोपी अरविंद उपाध्याय का विवाह वर्ष 2009 में 19 नवंबर को प्रियंका उपाध्याय पुत्री शेषनाथ तिवारी निवासिनी ग्राम ताड़ी थाना फूलपुर जनपद वाराणसी से हुआ था। शादी के बाद से ही पति पत्नी के बीच तालमेल ठीक न होने के कारण न्यायालय ने अरविंद को हर्जा खर्चा और रहने के लिए मकान में हिस्सा देने का आदेश दिया। जिसके बाद कथित गुमशुदा अरविंद उपाध्याय उसके पिता लक्ष्मी प्रसाद उपाध्याय और माता राधिका देवी ने आपस में योजना बनाकर षणयंत्र के तहत पहले अरविंद उपाध्याय को अपनी सम्पत्ति से बेदखल किया जिससे न्यायालय द्वारा प्रियंका उपाध्याय को मकान में रखने के सम्बन्ध मे आदेश पारित किया गया था। बाद में न्यायालय के आदेश की बात छिपाकर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर बेनीपुर सारनाथ मकान को वर्ष 2020 में बेच दिया गया। अरविंद इसके बाद अपने घर से जाकर कही छिप गया और उसके पिता लक्ष्मी प्रसाद उपाध्याय ने अपने पुत्र की गुमशुदगी का फर्जी प्रार्थना पत्र वर्ष 2017 में 12 अप्रैल को सारनाथ में देकर गुमशुदगी दर्ज कराई।
न्यायालय के आदेश के बाद चौकन्ना हुई पुलिस
अरविंद उपाध्याय की पत्नी प्रियंका उपाध्याय ने अपने मामलें को लेकर उच्च न्यायालय तक गई। उच्च न्यायालय द्वारा पुलिस पर लगातार दबाब बनाये जाने के बाद पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश के संज्ञान में आते ही सारनाथ एसओ अर्जुन सिंह अपने क्राइम टीम के दरोगा संग्राम सिंह यादव, हेड कांस्टेबल देवाशीष सिंह, कांस्टेबल रामानंद यादव और कांस्टेबल प्रशांत सरोज को इस प्रकरण के खुलासे में लगाया और मामलें का निस्तारण कराया।