संस्कृत विश्वविद्यालय : 10 साल से बंद पड़ी यज्ञशालाओं में प्रज्वलित हुई अग्नि

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पहली बार चतुर्वेद स्वाहाकार विश्व कल्याण महायज्ञ की शुरुआत मंगलवार से हो गई।

संस्कृत विश्वविद्यालय : 10 साल से बंद पड़ी यज्ञशालाओं में प्रज्वलित हुई अग्नि

वाराणसी भदैनी मिरर । संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पहली बार चतुर्वेद स्वाहाकार विश्व कल्याण महायज्ञ की शुरुआत मंगलवार से हो गई। 365 दिनों तक रोजाना तीन घंटे चलने वाले इस महायज्ञ में वेद विभाग के शिक्षकों के साथ ही छात्रों की भी भागीदारी होगी। चारों वेदों के मंत्रों से रोजाना यज्ञ में आहुतियां अर्पित की जाएंगी। इस अवसर पर कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि, यज्ञ सामूहिकता का प्रतीक है। अन्य उपासनाएँ या धर्म-प्रक्रियाएँ ऐसी हैं, जिन्हें कोई अकेला कर या करा सकता है; पर यज्ञ ऐसा कार्य है, जिसमें अधिक लोगों के सहयोग की आवश्यकता है।

विश्व कल्याण हेतु,  सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण एवं इस संस्था के पुनरुत्थान के लिये आयोजित संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण-महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि काशी ज्ञान की नगरी है। सनातन संस्कृति एवं संस्कृत की धारा काशी से ही प्रवाहित होती है। यह महादेव का स्थल है, संस्कृत महादेव की भाषा है इसका संरक्षण और संवर्धन यह संस्था 234 वर्षों से अनवरत कर रही है। इस विश्वविद्यालय के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये स्थायी निराकरण के लिए केंद्रीयकरण होना चाहिए। इसके लिए काशी के राजनेताओं, उद्योगपतियों, बुद्धजीवियों एवं अन्य से अपील किया जा रहा है कि संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए स्थापित इस प्राचीन विश्वविद्यालय के मूल की रक्षा करने के लिए आप सभी लोग संकल्पित भाव से उपाय करें, इसी से भारत, भारतीय और भारतीयता की रक्षा होगी।

इस महायज्ञ के माध्यम से यहाँ के विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान और इसके प्रभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होगी। कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि विश्व गुरु बनना है तो संस्कृत शास्त्रों में निहित भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे लाना होगा, इसमे संरक्षित ज्ञान को सर्व सुलभ बनाना होगा।

प्रसिद्ध उद्योगपति एवं विकास समिति के अध्यक्ष आर के चौधरी ने महायज्ञ में आहुति देते हुए कहा कि विश्व बंधुत्व और भारतीय संस्कृति के संरक्षण करने वाली संस्था को केंद्रीयकरण होनी चाहिये। महापौर अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि यह संस्था सनातन संस्कृति के संवर्धन, पोषण और रक्षा के लिए निरन्तर कार्य कर रहा है, एक लाख से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण भी इस संस्था द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के बहुमूल्य रत्न निहित है।

सामान्यतः चारों वेदों की संहिताओं के सम्पूर्ण मन्त्रो द्वारा आहुति होगी। विशेष अवसरों जैसे नवरात्री, श्रावण माह, दीपावली, कार्तिक माह आदि विशिष्ट अवसरों पर विशेष मन्त्रो दुर्गासप्तशती, रुद्री, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त आदि से भी हवन किया जायेगा। अनवरत संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण-महायज्ञ पंच मंदिर से प्रात: 08:00 ग्यारह बजे सभी तीर्थों की पूजा करके बालिकाओं(पीले ड्रेस)एवं अन्य ने जलयात्रा के साथ प्रारम्भ कर पूर्वाह्न 10 बजे पंचांगपूजन  यज्ञशाला में मंडप पूजन किया।