देवी जागरण में बही देवी भक्ति की बयार, बोले स्वामी देवी प्रसाद जी महराज- तन को परिवार में लगाए और मन से भजे भगवान...
मनुष्य शरीर मिलने के बाद तत्काल सतर्क हो जाना चाहिए इसे बिना भक्ति में लगाए व्यर्थ नहीं करना चाहिए, यह उद्गार थे शारदा पीठाधीश्वर स्वामी देवी प्रसाद जी महाराज के. उन्होंने कहा की तन परिवार में लगाए और मन को भक्ति में.
वाराणसी, भदैनी मिरर। माता शारदा मैहर धाम के पीठाधीश्वर परमहंस योगिराज तपोनिष्ठ पण्डितप्रवर ब्रह्मज्ञ भजनानन्दी शरदानंदन भूसुर दर्शनीय सदगुरुदेव भगवान श्री श्री 108 देवी प्रसाद जी महाराज एवं उनके ज्येष्ठ पुत्र प्रधान पुजारी श्री पवन पांडेय शास्त्री जी महाराज ने शुक्रवार को महराजा नगर कॉलोनी (महमूरगंज) में भक्तों के बीच अपने उद्गार व्यक्त किए. इस अवसर पर भोजपुरी गायक अमलेश दूबे, कन्हैया दूबे (केडी), आस्था शुक्ला ने देवी जागरण में जमकर भजनों पर भक्तों को झुमाया.
देवी जागरण के दौरान भक्तों को संबोधित करते हुए शारदानंदन मां शारदा मैहर पीठाधीश्वर स्वामी श्री श्री 108 श्री देवी प्रसाद जी महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर ईश्वर ने दिया है तो तत्काल सतर्क हो जाना चाहिए बिना भजन के इसे यूंही गवाना, भौतिकतावाद में डूबे रहना उचित नहीं है. भगवान ने तन दिया है तो उसे परिवार और कारोबार में लगाएं लेकिन मन से हमेशा भगवान को जपते रहना चाहिए. उन्होंने कहा की भगवान द्वारा दिए गए विवेक के कारण ही हम अन्य जीवों से अलग हैं. यदि जीव माया में फंसकर अपना जीवन बिना भागवत मार्ग पर चले व्यर्थ करते हैं तो हमारे और अन्य जीवों में कोई फर्क नहीं रह जाएगा. धरती के सारे रिश्ते स्वार्थ से परिपूर्ण है लेकिन भक्त और भगवान का रिश्ता ही अटल और सत्य है.
स्वामी श्री ने आगे कहा की मंगल रूपा ईश्वर को पाना सरल सुबोध और सुकमल है. उसके लिए जरूरी है हम जिन्हें भी आराध्य माने मात्र उनकी शरण में पड़े रहे. भौतिकतावाद में डूबा व्यक्ति तनाव से ग्रसित है. लेकिन अमंगलहारी ईश्वर को भजने वाला सदैव आनंद की अनुभूति करता है.