Photo: मनफेर को नगर भ्रमण पर निकले शकुटुंब भगवान जगन्नाथ, रविवार से हो जाएगा रथयात्रा मेले का आगाज...

लक्खा मेले में शुमार रथयात्रा मेला कल यानी 7 जुलाई यानी से शुरू हो रहा है. वहीं भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान करने से बीमार होकर भगवान जगन्नाथ स्वस्थ्य होकर आज भाई-बहन के साथ डोली में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकले है. प्रभु जगन्नाथ की डोली   अस्सी जगन्नाथ मंदिर से निकली, इस दौरान डोली पर सवार विग्रह पर भक्त पूरे रास्ते पुष्प वर्षा करते रहे.

Photo: मनफेर को नगर भ्रमण पर निकले शकुटुंब भगवान जगन्नाथ, रविवार से हो जाएगा रथयात्रा मेले का आगाज...

वाराणसी,भदैनी मिरर। लक्खा मेले में शुमार रथयात्रा मेला कल यानी 7 जुलाई यानी से शुरू हो रहा है. वहीं भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान करने से बीमार होकर भगवान जगन्नाथ स्वस्थ्य होकर आज भाई-बहन के साथ डोली में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकले है. प्रभु जगन्नाथ की डोली   अस्सी जगन्नाथ मंदिर से निकली, इस दौरान डोली पर सवार विग्रह पर भक्त पूरे रास्ते पुष्प वर्षा करते रहे.

जग के पालनहार पालकी पर सवार होकर मंदिर परिसर से होते हुए अस्सी चौराहा, पद्मश्री चौराहा, दुर्गाकुंड होते हुए नवाबगंज, खोजवां बाजार, शंकुलधारा पोखरा, बैजनत्था होते हुए रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग पहुंचेंगे. इसी के साथ रविवार तड़के से विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेला का आगाज होगा.

अस्सी जगन्नाथ मंदिर के महंत पंडित राजेश पाण्डेय ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा को स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ हो गए थे, 15 दिनों तक वो अज्ञातवास में थे. इस दौरान काढ़े का भोग लगाया गया और भक्तों को प्रसाद स्वरुप बांटा गया. इसके अलावा परवल काा जूस और 56 प्रकार के भोग लगाएं गए. 15 दिनों के बाद भगवान आज स्वस्थ हो गए और डोली पर सवार होकर काशी भ्रमण को निकले है.

उन्होंने बताया कि भगवान जगन्नाथ स्वास्थ्य लाभ के बाद सैर के लिए अपनी मौसी के घर जाते हैं और काशी में उनका सैर-सपाटा ससुराल में होता है. इसी मान्यता के अनुसार आज भगवान की डोली यात्रा अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से विभिन्न मार्गों से होते हुए रथयात्रा स्थित शापुरी भवन पहुंची जहां उनके विग्रह को रथ में विराजमान कराया गया. इसी के साथ कल से मेले का आगाज होगा.

यह भी मान्यता है कि काशी में बाबा जगन्नाथ भगवान विष्णु के अवतार हैं. इनके दर्शन से मोक्ष मिलता है और सभी मनोरथ पूरे हो जाते हैं. यानी भगवान विष्णु के दर्शन के बराबर फल इनके दर्शन से मिलता है. यही वजह है कि जीवन की कामनाओं की पूर्ति के लिए  देश के कोने-कोने से लोग इस मेले में खींचे चले आते हैं।वहीं प्रभु के रथ को पीली पताकाओं, लतरों, पीले फूलों से सजाया गया है.