बोलीं राज्यपाल- संस्कृति का मूल आधार है संस्कृत भाषा, सम्पन्न हुआ विद्यापीठ और संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह...

Said Governor Sanskrit language is the basic basis of culture the convocation ceremony of Vidyapeeth and Sanskrit University was completedबोलीं राज्यपाल- संस्कृति का मूल आधार है संस्कृत भाषा, सम्पन्न हुआ विद्यापीठ और संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह...

बोलीं राज्यपाल- संस्कृति का मूल आधार है संस्कृत भाषा, सम्पन्न हुआ विद्यापीठ और संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह...

वाराणसी,भदैनी मिरर। संस्कृत भाषा नहीं संस्कृति का मूल आधार हैं। यह सभी भाषाओं की कोशिका है। गतदिनों पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में संस्महोपाध्याय गंगा नाथ झा जैसे विद्वानों ने देव भाषा संस्कृत के प्रसार प्रसार किया और इसकी सेवा की। हमें उन विभूतियों के आदर्शों का निर्वाह करने का संकल्प लेना होगा। उक्त बाते सोमवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित 39वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने कही। 

उन्होंने कहा कि कहा कि  कहा कि महोपाध्याय गंगा नाथ झा, गोपीनाथ कविराज जैसे विद्वानों ने देव भाषा संस्कृत के प्रसार प्रसार किया और इसकी सेवा की। हमे उन विभूतियों के आदर्शो का निर्वाह करने का संकल्प लेना होगा। मुस्लिम और विदेशी छात्र भी इसी विश्विध्यालय से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो पूरे विश्व में संस्कृत भाषा के महत्व को दर्शाता है। प्राचीनतम विश्वविद्यालय के उत्थान के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्व. संपूर्णानंद के योगदान अविस्मरणीय है। बताया कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को अधिक महत्ता दी गई है। स्कूली शिक्षा में संस्कृत भाषा को भी अन्य वैकल्पिक भाषा की तरह शामिल किया गया है। देव भाषा संस्कृत ताे अमृत भाषा है। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप देश के धरोहर हैं। आप समृद्ध होंगे तो विश्वविद्यालय व देश भी समृद्ध होगा। कहा कि विश्विद्यालय इसी प्रकार लोक कला को जीवित रखने में प्रयासरत विभूतियों को सम्मानित करने की परम्परा जारी रखें।

इसके साथ ही राज्यपाल ने 37 मेधावियों को 64 स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक प्रदान करने के साथ हीलोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी को वाचस्पति (डीलिट) की मानद उपाधि प्रदान की। इसके अलावा समारोह में 15520 को शास्त्री, आचार्य, पीएचडी सहित अन्य पाठ्यक्रमों की उपाधि व सर्टिफिकेट प्रदान की घोषणा की गई। 


वहीं समारोह की मुख्य अतिथि लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि शास्त्रों के संरक्षण में लोक कलाओं की अहम भूमिका है। लोक कला जितना समृद्ध होगा। शास्त्र उतना समद्ध होगा। वहीं समारोह में कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को समावर्तन संस्कार की शपथ दिलाई।


संस्कृत भाषा मे आयोजित रहा समरोह

समारोह की खास बात यह रही कि पूरा समारोह संस्कृत भाषा में चला। सिर्फ राज्यपाल व मुख्य अतिथि ने अपना उद्बोधन हिंदी भाषा में दिया। वहीं सर्वाधिक स्वर्ण पदक पाने वाले रविकुमार जायसवाल ने निष्पक्ष लोकवाणी से विशेष बातचीत में कहा कि इस सफलता से मैं बहुत खुश हूं, परिजनों में भी हर्ष का माहौल है। इस सफलता का श्रेय मैं अपने माता-पिता और गुरुजनों को देना चाहता हूं। मूलरूप से प्रतापगढ़ के रहने वाले रविकुमार ने शुरुआती शिक्षा प्रतापगढ़ से शुरू की थी। प्रतापगढ़ जिले के भंगवा चुंगी निवासी रवि जायसवाल ने आचार्य के पाठ्यक्रम में विश्वविद्यालय में टॉप किया। रवि वर्तमान में वाराणसी में पीएचडी कर रहे। शहर के वीएन मेहता संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पहली बार किसी छात्र को राज्यपाल से एक साथ नौ गोल्ड मिले।


इधर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में भी सोमवार को 43वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जेलों में बंद उन महिला कैदियों को रिहा कर देना चाहिए, जो शुगर, हार्ट और किडनी आदि की मरीज हैं। राज्यपाल ने कहा कि 80-80 साल की महिलाएं जेल में अपनी सजा काट रहीं हैं। आसपास के ही जेलों में हमने इस तरह की समस्या देखी है। उन्हाेंने कहा कि छोटी-छोटी बात को लेकर उन्होंने कुछ ऐसा गलत काम कर दिया कि वे जेलों में बंद हैं। इसलिए इस दीक्षांत समारोह में हम मेधावियों को उनके चारित्रिक विकास करने की सलाह देंगे। 

बाबा के दर्शन को जरूर जाए

इस दौरान आनंदी बेन पटेल ने हॉल में बैठी छात्राओं से पूछा कि यहां पर कितने लोगों ने लोकार्पण के बाद बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के दर्शन किए। इस जवाब में हॉल में केवल 10-15 हाथ ही उठे। यह देख राज्यपाल हतप्रभ होकर बोलीं कि एक बार आपको बाबा के दर्शन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लोगों से अपील करती हूं कि इन्हें धाम को दिखाया जाए। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई इंजीनियर या आर्किटेक्ट नहीं हैं, मगर उन्होंने जिस तरह से मंदिर के कॉरिडोर का अक्स सबसे पहले कागज पर खींचा था वह शानदार था। 

58370 छात्रों को मिली उपाधियां

संबोधन से पहले आनंदी बेन का स्वागत पारंपरिक परिधान में कुलपति प्रो. आनंद त्यागी समेत सभी प्रोफेसरों ने किया। कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने दीक्षांत समारोह के आधिकारिक कार्यक्रम के शुरूआत की घोषणा की। इसके बाद राज्यपाल सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री बिमला पोद्दार को डी-लिट की उपाधि उन्होंने दी। वहीं 57 मेधावियों को गोल्ड मेडल और 16 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई। वहीं पीजी के 15189 और यूजी के 58370 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गई। इस दौरान दूसरी डी-लिट की उपाधि प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र को दी जानी थी, मगर वह विश्वविद्यालय नहीं पहुंचे।

इससे पहले काशी विद्यापीठ में दीक्षांत समारोह की शुरूआत राष्ट्रगान और कुलगीत के साथ हुई। राज्यपाल का अभिवादन करने के बाद कुलपति प्रो. त्यागी ने मंच पर अपना स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि 10 हजार की क्षमता वाले इस विश्वविद्यालय के 3 परिसर हैं। वाराणसी के गंगापुर में तीसरा परिसर है जहां पर 5000 से अधिक छात्र हैं। इसके अलावा सोनभद्र और मीरजापुर में भी इसकी शाखा हैं। वहीं 300 से अधिक महाविद्यालय इससे संबंद्ध हैं।