बढ़ता जलस्तर: चेतावनी बिंदु के काफी करीब पहुंची गंगा, वरुणा भी उफनाई, DM ने स्थापित कराया कंट्रोल रुम...
वाराणसी, भदैनी मिरर। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में हो रही निरंतर बारिश से गंगा ने रौद्र रुप धारण कर लिया है। घाटों की सीढ़ियां अब गंगा में समाहित हो चुकी है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए आरती के स्थानों में निरंतर बदलाव हो रहे है। नौका संचालन पर जिलाधिकारी ने रोक लगा दी है। वही बढ़ते जलस्तर को लेकर डीएम खुद नजर बनाएं हुए है। उन्होंने मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित होने वाली बाढ़ चौकियों को क्रियाशील करायें। इसके साथ ही इन बाढ़ चौकियों पर ड्यूटी देने वाले कर्मचारियों व गोताखोरों की बैठक पर आवश्यक दिशा-निर्देश दें।
केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, गंगा का जलस्तर सोमवार रात 10 बजे 67.26 मीटर पहुंच गया। गंगा तीन सेमी. प्रतिघन्टे की रफ्तार से बढ़ रही है। चेतावनी बिंदु से तीन मीटर नीचे गंगा का जल स्तर है। बनारस में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर है, जबकि खतरा का निशान 71.262 मीटर और बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर है। घाटों पर सुरक्षा के मद्देनजर जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ की टीम मुस्तैद है।
गंगा स्नान करने वालों को बैरिकेडिंग के अंदर ही स्नान के निर्देश है।
शवदाह के स्थान में भी तब्दीली
मणिकर्णिका घाट पानी में डूबने के कारण अब छतों पर शवदाह शुरू हो चुका है। हरिश्चंद्र घाट पर ही शवदाह के लिए आने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पानी में प्लेटफॉर्म डूबने की वजह से डोम परिवार काफी मुश्किलों से शवदाह कर रहे है। हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में तो मणकर्णिका घाट पर छतों पर शवदाह हो रहा है।
वरुणा नदी के किनारे रहने वालों की बढ़ी चिंता
जल स्तर में बढ़ाव के कारण गंगा के साथ ही वरुणा नदी के किनारे रहने वालों में खलबली मची है। गंगा के पलट प्रवाह के कारण सबसे ज्यादा बाढ़ का कहर वरुणा किनारे रहने वालों को ही झेलना होता है।
डीएम ने निर्देशित किया है कि बाढ़ से प्रभावित होने वाले स्थानों को चिन्हित करते हुए वहां की जनहानि, पशुहानि को बचाने और प्रशासन द्वारा प्रभावित व्यक्तियों, परिवारों को राहत कैम्पों में सुरक्षित रखने की व्यवस्था तेजी से सुनिश्चित की जाए। राहत कैम्पों में साफ सुथरे बिस्तर, तकिये, चादर, चारपाई पंखे आदि की व्यवस्था के साथ ही स्वच्छ, पोषण युक्त ताजा भोजन प्रतिदिन दो बार देने की व्यवस्था व बच्चों एवं वृद्ध के भोजन में केला, दूध, बिस्कुट, सत्तू आदि भी सम्मिलित किया जाए। कैम्प में स्वच्छ पेयजल व निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया तथा वैकल्पिक रूप से जेनसेट, सोलर लालटेन का भी प्रबंध किया जाय।
पशुओं के लिए स्थापित हो राहत कैम्प
बाढ़ से प्रभावित पशुओं को राहत उपलब्ध कराने हेतु पशु राहत कैम्प की स्थापना कर संचालन किया जायेगा। उक्त कैम्प में पशुओं के लिए चारा, स्वच्छ पेयजल एवं पशुओं में हाने वाली बीमारी-खुरपका, मुंहपका आदि की रोकथाम हेतु टीकाकरण एवं आवश्यक दवाओं आदि की व्यवस्था की जायेगी। पशु कैम्पों में प्रतिदिन साफ-सफाई सुनिश्चित की जायेगी तथा कैम्प में पशुचिकित्साकों की पालीवार रूप से ड्यूटी लगाई जायेगी एवं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा अपने विभाग से एक नोडल अधिकारी नामित किया जायेगा।
मुख्यालय और तहसील स्तर पर कंट्रोल रुम की स्थापना
डीएम ने निर्देशित किया है कि मुख्यालय और तहसील स्तर पर बाढ़ कन्ट्रोल रूम की स्थापना तत्काल कर दी जाये। कन्ट्रोल रूम का संचालन 24x7 के आधार पर किया जायेगा एवं इसमें 8-8 घण्टे की शिफ्टवार अधिकारियों, कार्मिकों की ड्यूटी लगायी जायेगी। बाढ़, अतिवृष्टि के दौरान आकाशीय बिजली से जनहानि, पशुहानि की घटनायें घटित होती है। मौसम विभाग के आकाशीय विद्युत की पूर्व चेतावनी प्राप्त होने की दशा में ग्राम प्रधान के माध्यम से पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा आमजन को सचेत करने की व्यवस्था भी करने का निर्देश दिया। बैठक में सभी मजिस्ट्रेट सहित सभी सम्बंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।