अब 5 जुलाई को होगी संवासिनी प्रकरण की सुनवाईं, जाने क्यों टली हियरिंग...
ढाई दशक पुराने संवासिनी प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोपी कांग्रेस प्रवक्ता व राज्य सभा सांसद रणदीप सुरजेवाला मामले में प्रभारी (एमपी/एमएलए) अजय कुमार की अदालत में मंगलवार को भी सुनवाई टल गई.
वाराणसी, भदैनी मिरर। ढाई दशक पुराने संवासिनी प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोपी कांग्रेस प्रवक्ता व राज्य सभा सांसद रणदीप सुरजेवाला मामले में प्रभारी (एमपी/एमएलए) अजय कुमार की अदालत में मंगलवार को भी सुनवाई टल गई. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका सूचीबद्ध न होने से अब 5 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
सुरजेवाला के अधिवक्ता संजीव वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध पूर्व से ही सुरजेवाला के विरुद्ध सभी कार्यवाहियों पर स्थगन आदेश पारित है और ग्रीष्मकालीन अवकाश होने के कारण सुप्रीम कोर्ट बंद है. जुलाई में खुलने पर सूचीबद्ध होकर सुनवाई होने की संभावना है. स्थानीय न्यायालय द्वारा अग्रिम 5 जुलाई तिथि नियत की है. जिससे मुकदमे का विचारण, कारवाई हो सके. इस लिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में सूचीबद्ध होकर सुनवाई और उसपर आने वाले आदेश विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट अग्रिम विधि कार्यवाही निष्पादित करे क्योंकि जुलाई माह में न्यायालय खुलेंगे और सुनवाई हो सकती है.
इस मामले में सुरजेवाला के खिलाफ स्थानीय अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है, सुरजेवाला की तरफ से आरोप से डिस्चार्ज किये जाने का अनुरोध स्थानीय अदालत में किया गया है जिसके लिए केस डायरी और अन्य अभियोजन प्रपत्र की मांग की गई है. अदालत में सुरजेवाला के हाजिर नहीं होने पर अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप नहीं बन पा रहा ऐसे में अदालत ने सुरजेवाला के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है जिसके खिलाफ सुरजेवाला की तरफ से सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रणदीप सिंह सुरजेवाला के याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके विरुद्ध स्थानीय न्यायालय द्वारा सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी गई है. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट यह कहा है की अग्रिम सुनवाई तक यह आदेश प्रभावी रहेगा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अग्रिम सुनवाई न होने के करण स्थानीय न्यालायल द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाहीं ना करने का आदेश अग्रिम सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में स्थानीय न्यालालय द्वारा कोई भी कार्यवाही नही की जा सकती.