श्री काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन का नहीं लगेगा कोई शुल्क, मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने खबरों का किया खंडन...

काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के शिवलिंग के स्पर्श दर्शन को लेकर शुल्क निर्धारण की छपी खबरों के बाद लगातार सोशल मीडिया से लेकर अन्य प्लेटफार्म पर लोगों ने विरोध जताया.

श्री काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन का नहीं लगेगा कोई शुल्क, मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने खबरों का किया खंडन...

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के शिवलिंग के स्पर्श दर्शन को लेकर शुल्क निर्धारण की छपी खबरों के बाद लगातार सोशल मीडिया से लेकर अन्य प्लेटफार्म पर लोगों ने विरोध जताया. जिसके बाद मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने इसका खंडन किया है. कौशलराज शर्मा ने बताया की ऐसी कोई भी योजना नहीं है.

यह छपी थी खबरें

बता दें की प्रातःकालीन एक अखबार में छपी खबरों के मुताबिक श्री काशी विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए भक्तों को शुल्क देना होगा. मंदिर प्रशासन 500 से एक हजार रुपये शुल्क तय करने पर विचार कर रहा है. मंदिर न्यास परिषद की ओर से प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है. जल्द ही नई व्यवस्था लागू हो जाएगी. इसके बाद भक्त निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद गर्भगृह में जाकर बाबा का स्पर्श दर्शन कर सकेंगे.

आम जनता से लेकर राजनैतिक लोगों ने किया विरोध

खबर छपने के बाद सोमवार सुबह से ही लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे थे. सोशल मीडिया पर कोई लिख रहा था की बाबा का रेट काफी सस्ता है, वहीं कुछ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा की 'बाबा' को व्यापार का माध्यम न बनाया जाए. किसी अन्य ने लिखा की आखिर हम कर भी क्या सकते है, दो-चार दिन विरोध, सोशल मीडिया पर पोस्ट इसके अलावा एसी कमरों में बैठकर नियम बनने वालों का हम बिगाड़ भी क्या सकते है? इसके आलावा राजनैतिक लोग भी इस फैसले का विरोध करते मैदान में कूद गए थे. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य अनिल श्रीवास्तव "अन्नू" ने बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन पर शुल्क लगाए जाने की योजना पर घोर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ की स्पर्श दर्शन के लिए शुल्क लगाना महादेव के भक्तों की भावनाओं, आस्था एवं श्रद्धा से खिलवाड़ और काशी की अस्मिता और परंपरा को चुनौती है. उन्होंने कहा कि काशीवासियों व बाहर से आए श्रद्धालुओं के लिए शीघ्र व सुगम दर्शन की व्यवस्था ठीक है, मगर शुल्क के साथ स्पर्श दर्शन का निर्णय सर्वथा अनुचित है. यह निर्णय महादेव के भक्तों पर बहुत ही गलत प्रभाव डालेगा.