UP पुलिस में नौकरी से लेकर बाबा बनने तक का सफर, जानें कौन है भोले बाबा जिसके सत्संग में सैकड़ों लोगों ने गंवाई अपनी जान

उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गवां चुके है. तो कई घायल हो गए है. अचानक से आयोजन स्थल एक मातम स्थल में तब्दील हो गया. इस बड़े हादसे के बाद हर शख्स यह जानना चाहता है कि आखिर कथावाचक साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कौन हैं.

UP पुलिस में नौकरी से लेकर बाबा बनने तक का सफर, जानें कौन है भोले बाबा जिसके सत्संग में सैकड़ों लोगों ने गंवाई अपनी जान

Hathras UP Satsang : उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गवां चुके है. तो कई घायल हो गए है. अचानक से आयोजन स्थल एक मातम स्थल में तब्दील हो गया. इस बड़े हादसे के बाद हर शख्स यह जानना चाहता है कि आखिर कथावाचक साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कौन हैं.

पुलिस की नौकरी छोड़कर बन गए बाबा

दरअसल, कासगंज जिले के पटियाली स्थित बहादुर नगर के निवासी साकार विश्व हरि भोले बाबा ने 17 साल पहले पुलिस विभाग से नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था. कुछ इन्हें आईबी से जुड़ा भी बताते हैं, इसीलिए बताया जाता है कि बाबा पुलिस के तौर-तरीकों से परिचित हैं. भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में हैं. विश्व हरि भोले बाबा को उनके अनुयायी भोले बाबा के नाम से बुलाते हैं. 

महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनते है बाबा

बाबा आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र धारण नहीं करते हैं, वह महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनते हैं. अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करते हैं, चूंकि बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में समाज के हाशिए वाले, गरीब, दलित आदि शामिल हैं. उन्हें बाबा का पहनावा और यह रूप बड़ा लुभाता है.

भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं. भोले बाबा के एक भक्त ने बताया कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं है. वीआरएस लेने के बाद उन्हें अचानक भगवान से साक्षात्कार हुआ और उसी समय से उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है. उनका असली नाम सूरज पाल है. वो कासगंज के रहने वाले हैं.

50 लोगों की मांगी इजाजत, जुटाए 50 हजार भक्त

उन्होंने बताया कि हर मंगलवार को वो सत्संग करते हैं. इससे पहले मैनपुरी में सत्संग हुआ है. इसके बाद यहां शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि कोरोना के समय भी भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम विवादों में आया था. तब उन्होंने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बाद में 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में आ गए थे. भारी भीड़ के चलते प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी.