वाराणसी पहुंचे केरल के Governor आरिफ मोहम्मद ने प्रदीप बजाज को दी श्रद्धांजलि, बोले - लोकतंत्र में मतभेद लाजमी है...
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद गुरुवार को वाराणसी पहुंचे. शाम को वह भेलूपुर के मुड़ीकट्टा स्थित स्वर्गीय प्रदीप बजाज को श्रद्धांजलि दी.
वाराणसी, भदैनी मिरर। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद गुरुवार को वाराणसी के भेलूपुर स्थित मुड़ीकट्टा मंदिर के स्थित स्वर्गीय प्रदीप बजाज के घर पहुंचे. वह शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधवाया. परिजनों के साथ बैठकर उन्होंने वार्ता की. इसके बाद वह अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए. इसके पूर्व एयरपोर्ट से सर्किट हाउस पहुंचने पर उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
इस दौरान उन्होंने मीडिया से वार्ता भी की. उन्होंने कहा की प्रदीप बजाज जी हमारे साथ वर्ष 1977 में एसेंबली में एक साथ थे, लेकिन पारिवारिक रिश्तों में हम दोनों एक ही थे. हम जब भी बनारस आते या वह दिल्ली आते तो हमारी मुलाकात होती थी. जब उनके निधन की खबर मिली तो हमने अगले 24 घंटे तक प्रदीप के भाई प्रकाश से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. एक भाई के खोने पर जो भावनाएं होती है, वहीं मेरी भावनाएं है. मालिक उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को दुख सहने की क्षमता दें.
इसके पूर्व सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान रामचरित मानस के बवाल पर पूछे गए सवाल पर कहा की यदि मीडिया योगदान करें तो कोई विवाद ही न हो. उन्होंने कहा की एक ही चीज को लेकर सबका नजरिया अलग-अलग हो सकता है. लोकतंत्र में मतभेद होना लाजमी है और विवाद की चीजों को ही ज्यादा तबज्जो दी जाती है.
'जाकी जिसकी भावना वैसी प्रभु की मूरत होए' का उदाहरण देते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा की सबको अपनी बातें अपने ढंग से कहने का हक है, यदि थोड़ा सा अपने व्यवहार में बदलाव कर लिया जाए तो विवाद का प्रश्न ही नहीं उठता. राज्यपाल ने कहा की आज भारत को नई दिशा दिखाने के लिए दुनिया में संस्कृति नस्ल, भाषा, रंग-रूप से बांटी जाती है. हमारे ऋषि मुनियों ने इन्हें नहीं, बल्कि आत्मा को आधार बनाया था. इस संस्कृति में रावण के विरोध में उसके दुष्ट व्यवहार के लिए लड़ाई होती है. दुनियाभर के लोगों ने हिन्दू संस्कृति को विचार की तरह नहीं लेते हुए जरूरत के आधार पर लिया है.