सावन में भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं यह 5 चीजें, महादेव हो जाएंगे अप्रसन्न!

क्या आप जानते है कि भोलेनाथ को 5 चीजें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए. इन चीजों के अर्पित करने से जगत की देवी मां पार्वती एवं महादेव अप्रसन्न हो जाते हैं.

सावन में भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं यह 5 चीजें, महादेव हो जाएंगे अप्रसन्न!

महादेव को श्रावण मास अत्यन्त प्रिय है. इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें फल, फूल और जल अर्पित करते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि भोलेनाथ को 5 चीजें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए. इन चीजों के अर्पित करने से जगत की देवी मां पार्वती एवं महादेव अप्रसन्न हो जाते हैं.

जानें महादेव को कौन सी चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए

हल्दी

धर्म जानकारों की मानें तो महादेव को पूजा के दौरान भूलकर हल्दी अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि हल्दी का संबंध स्त्री तत्व से है. वहीं, शिवलिंग भगवान शिव का ज्योत रूप है, इसमें पुरूष तत्व विद्यमान है. इसके अलावा, हल्दी का उपयोग मसाले में किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में तमोगुण की बढ़ोतरी होती है. इसके लिए भगवान शिव को हल्दी ना चढ़ाने की सलाह दी जाती है. अत: भूलकर भी पूजा के समय भगवान शिव को हल्दी न चढ़ाएं.

सिंदूर

महादेव को पूजा के समय सिंदूर अर्पित ना करें. ऐसा करने से जगत की देवी मां पार्वती अप्रसन्न होती हैं. इसका उल्लेख शिव पुराण में निहित है। कहते हैं कि चिरकाल में एक तपस्वी ने भगवान शिव को हल्दी और नींबू एक साथ अर्पित कर दी थी. इससे भगवान शिव का शरीर रक्त-रंजित हो गया था। यह देख जगत की देवी मां पार्वती अप्रसन्न और क्रोधित हो गई थीं. तत्कालीन समय में भगवान शिव के कहने पर मां पार्वती ने तपस्वी को क्षमा प्रदान की थी, इसलिए पूजा के समय भगवान शिव को भूलकर भी सिंदूर ना चढ़ाए.

शंख

भगवान शिव को शंख अर्पित न करें और न ही शंख में जल भरकर उनका अभिषेक करें. शास्त्रों में निहित है कि शंखचूड़ नामक असुर को भगवान शिव ने युद्ध में परास्त किया था. असुर शंखचूड़, देवों के देव महादेव को अपना शत्रु मानता था, इसलिए भगवान शिव को शंख अर्पित करने की भूल न करें.

तुलसी

देवों के देव महादेव को तुलसी दल भी अर्पित न करें. विष्णु पुराण में निहित है कि जालंधर की धर्मपत्नी वृंदा पति परायण थीं। इसके साथ ही वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं. उनके पति परायण तप के चलते जालंधर का वध करना देवताओं के लिए आसान नहीं था. उस समय भगवान शिव ने छल से वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग किया था. जालंधर वध के पश्चात देवताओं ने युद्ध में असुरों को परास्त किया था। उस समय वृंदा ने भगवान शिव को तुलसी न अर्पित करने का श्राप दिया था.

खंडित बेलपत्र

भगवान शिव को बेलपत्र अत्यनत प्रिय है, हालांकि, महादेव को खंडित बेलपत्र भूलकर भी अर्पित न करें. ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. इसके लिए भगवान शिव को जल अर्ध्य देते समय भूलकर भी खंडित बेलपत्र न चढ़ाएं. वहीं, तीन पत्तों वाले बेल पत्र अर्पित करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं.