नए कानून की खासियत: चोरी-लूट-डकैती से लेकर रेप तक में सजा के कड़े प्रावधान, रुकेगा पुलिस का मनमानापन?

बीते 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू हो गए हैं. 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी थी. आइए वाराणसी के वरिष्ठ अधिवक्ता (फौजदारी) अनुज यादव से आसान भाषा में इन कानूनों के बारे में समझते है और जानते है इनेके लागू होने से क्या-क्या बदलेगा...

वाराणसी, भदैनी मिरर। बीते 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू हो गए हैं. 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी थी. आइए वाराणसी के वरिष्ठ अधिवक्ता (फौजदारी) अनुज यादव से आसान भाषा में इन कानूनों के बारे में समझते है और जानते है इनेके लागू होने से क्या-क्या बदलेगा...

IPC और नए कानून में क्या अंतर है?

अधिवक्ता अनुज यादव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा तीन कानूनों में परिवर्तन किया गया है. IPC कनवर्ट हो गया है BNS में, CRPC कन्वर्ट हो गया है BNSS में और जो इविडिएंस एक्ट था वो BSA में कनवर्ट हो गया है. जो पहले आईपीसी लिखी गई थी वो 23 अध्याय में 511 धाराएं थी और अब जो नई भारतीय न्याय संहिता लिखी गई है वो 20 अध्याय है, जिसमें 398 धाराएं है. पुरानी धाराओं को डिलीट करते हुए 9 धाराएं नई जोड़ी गई है. इसके साथ ही नए कानून में जो वादकारी है इनको त्वरित न्याय की व्यवस्था की गई है. जो पुलिस का मनमानापन था उसमें रोक लगाई गई है. 

जीरो एफआईआर की व्यवस्था नए कानून के तहत की गई है. हिंदुस्तान के किसी भी कोने में आप हों, कहीं कोई घटना हो गई तो तत्काल पुलिस वाले उसमें एफआईआर दर्ज करेंगे. उसको टाल नहीं सकते है. पहले पुलिस वाले एफआईआर करने पर आम लोगों को दौड़ाते थे, लेकिन इस नए काननू के तहत जीरो एफआईआर की व्यवस्था की गई है.

साथ ही साथ इसमें तीन नई चीजें है डकैती, हत्या, लूट इन धराओं को कड़ा किया गया है. इसमें 33 धाराओं में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है और इसमें 9 सेक्शन जोड़े गए है, जो 23 अध्याय था पहले आईपीसी में नया कानून है भारतीय न्याय संहिता वो 20 अध्याय में हो गया है. और ये न्याय कानून निश्चित रुप से समाज को नई दिशा देगा और इसमें जो वादकारी पीड़ित पक्ष है उनको त्वरित न्याय मिलेगा.

IPC में हत्या की धारा 302 थी, अभी BNS में कौन सी धारा है और सजा का क्या प्रावधान है?

अधिवक्ता अनुज यादव ने बताया कि 302 की धारा को 103 में कनवर्ट कर दिया गया है. अब हत्या के मुकदमें 103 भारतीय न्याय संहिता के तहत दर्ज किए जाएंगे.  

हत्या के प्रयास की धारा आईपीसी में 307 थी अब BNS धारा क्या है और सजा का प्रावधान क्या है?

अधिवक्ता अनुज यादव ने बताया कि हत्या के प्रयास की धारा 307 को BNS की धारा 109 में कंवर्ट कर दिया गया है. 

IPC दुष्कर्म (धारा 376) और BNS में क्या अंतर है और सजा का क्या प्रावधान?

दुष्कर्म 376 के कई क्लासेस थे 376-1, 376-2, 376-3 सभी को कन्वर्ट कर दिया गया है. 376-1 था उसे अब 64-1 के तहत बीएनएस में एफआईआर दर्ज होगा. 376-2 था उसे 64-2 के तहत एफआईआर दर्ज होगी, 376-3 था वो 65-1 के तहत दर्ज होंगा. ऐसे ही सारी धाराएं बदली गई है. वहीं इसमें जो शादीशुदा महिलाएं है, जिन्हें धोखा देकर शादी का झांसा देकर, जो दुष्कर्म किए जाते है, गलत काम होता था उसमें मृत्युदंड तक की व्यवस्था की गई गई है.