रामकाज के लिए दर्ज हुआ था मुझ पर मुकदमा, चुनाव से कोई लेना देना नहीं: मंत्री रविन्द्र जायसवाल
वाराणसी,भदैनी मिरर। तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे तब रामसेतु को तोड़ने की बात कह रही थी, उस वक्त पूरे देश में रामभक्तों का आक्रोश था। मेरे नेतृत्व में भी वर्ष 2007 के सितंबर महीने में सैकड़ो लोग जिला मुख्यालय धरना देने जा रहे थे तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के निर्देश पर हम सबको अंधरापुल पर रोक दिया गया। जो मुकदमा अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है, हमारे ऊपर रामकाज के लिए मुकदमा हुआ था न की चुनाव को लेकर। उक्त बातें प्रदेश के स्टाम्प पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल ने पत्रकारवार्ता कर कही।
सुबह हुआ था धरना शाम को दर्ज हुआ मुकदमा
मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने फैल रहे अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव फरवरी में था और मेरे ऊपर मुकदमा सितंबर में हुआ। उन्होंने बताया कि यह बात सितंबर की है। हम रामभक्तों को पुलिस ने जब रोका तो हम अंधरापुल पर अपने धरने को सुबह करीब दो घंटे बाद खत्म कर दिया। लेकिन यूपी की तत्कालीन सीएम मायावती के निर्देश पर रात में 11.30 बजे इस मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया गया, जिसमें हमे मुजरिम बना दिया गया। मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि वर्तमान सरकार ने ऐसे सभी मुकदमें जो राजनीतिक विद्वेश में हों, जिसमें खून, लूट डकैती, चोरी जैसे मामले न हो उसे कम करने के लिए कहा है। इस मामले में भी सरकार ने जांच कराई और डीएम से लेकर थानेदार तक की रिपोर्ट बनाई गई। उस रिपोर्ट के बाद सरकार ने पाया कि इस मुकदमे का कोई औचित्य नहीं है। उस आंदोलन में न कोई तोड़ फोड़ हुआ न किसी को नुकसान। सिर्फ केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई है, लेकिन अभी भी मुकदमा विचाराधीन है, उसे वापस नहीं लिया गया है।