BHU: आक्रोश मार्च में गूंजा... "महामना तेरे आदर्शों पर दाग नहीं लगने देंगे", जाने क्यों सड़क पर उतरे विवि छात्र...

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्र एकजुट होकर शनिवार को विवि कैम्पस में आक्रोश मार्च निकालकर चेताया की डेयरी फॉर्म, प्रिंटिंग प्रेस और एयरोड्रम बंद हुआ तो महामना के सभी मानस पुत्र और पुतियाँ एकजुट होकर बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

BHU: आक्रोश मार्च में गूंजा... "महामना तेरे आदर्शों पर दाग नहीं लगने देंगे", जाने क्यों सड़क पर उतरे विवि छात्र...

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की प्रशासनिक सुधार समिति द्वारा 76 पेज की गोपनीय रिपोर्ट में तीन सदस्यीय कमेटी ने विवि के स्थापना के समय स्थापित की गई डेयरी फॉर्म, प्रिंटिंग प्रेस और एयरोड्रम बंद करने की सिफारिश के बाद विश्वविद्यालय में विरोध तेज हो गया है. संयुक्त रूप में छात्रों, शोधार्थियों, अध्यापक और अन्य संगठन एक साथ आकर महिला महाविद्यालय के समीप इकठ्ठा होकर विरोध मार्च निकाला. इस दौरान छात्रों ने हाथ में तख्तियां लेकर जमकर नारेबाजी की. "महामना तेरे आदर्शों पर दाग नहीं लगने देंगे, "महामना अमर रहे" जैसे नारे लगाते हुये बीएचयू सिंहद्वार तक पहुंचे. इस दौरान "छात्र-संघ बहाली" का भी नारा गूंजा. छात्र हाथ में SAVE BHU और कुलपति सुधीर कुमार जैन के विरोध में नारेबाजी की. 

आक्रोश मार्च निकालने वालों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह आक्रोश मार्च कुलपति को चेताने के लिए निकाला गया है, ताकि वह महामना के आदर्शों से कोई भी खिलवाड़ किये तो हम सभी लोग वैचारिक मतभेद भूलकर महामना के मानस पुत्र और पुत्री के रूप में बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे. छात्रों ने चेताया कि महामना की बगिया हमेशा महामना के आदर्शों, सिद्धांतों और उनके बताये पदचिन्हों पर चलेगी. हम सबको ऐसा कुलपति और विवि का अधिकारी नहीं चाहिए जो महामना के आदर्शों से छेड़छाड़ करने की सोचे भी. आक्रोश मार्च में प्रमुख रूप से डा. अवनिंद्र राय, शुभम तिवारी , डा. चक्रपाणि ओझा , वैभव तिवारी ,अधोक्षज पांडेय, गोपाल सिंह , विवेक सिंह अभिषेक, रिंकू सिंह, साक्षी सिंह, प्रफुल पांडे, पतंजलि पांडे, सत्यवीर ,सुयग्य राय, कैलाश वर्मा, कुलदीप क्रांतिकारी , हिमांशु, रोहित राय सहित छात्र , अध्यापक और कर्मचारी मौजूद रहे।

बता दें, महामना ने विश्वविद्यालय परिसर में डेयरी की स्थापना 1918 में की थी. उनकी यह सोच थी कि गौशाला के प्रति लोग जागरूक हो और उनका गाय के प्रति लगाव बड़े. बीएचयू के प्रिंटिंग प्रेस को वर्ष 1936 में स्थापित किया गया था. वहीं खबर छपने के साथ ही रजिस्ट्रार का बयान आया कि कमेटी ने सुझाव दिया है मगर उस पर विश्वविद्यालय को फैसला लेना है. विश्वविद्यालय बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया है.