BHU: बाल रोग विभाग की लापरवाही फिर उजागर, 16 दिन के मासूम को नहीं मिला बेड, मौत...

BHU: बाल रोग विभाग की लापरवाही फिर उजागर, 16 दिन के मासूम को नहीं मिला बेड, मौत...
सर सुंदरलाल चिकित्सालय

वाराणसी, भदैनी मिरर। कोरोना संक्रमण काल में बीएचयू अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही तो उजागर हो ही चुकी थी, वही गुरुवार को एक बार फिर बाल रोग विभाग की लापरवाही देखने को मिली, जहा 16 दिन के मासूम को बेड न मिलने से उसकी मौत हो गई। हर बार की तरह इस बार भी अस्पताल प्रबंधन जांच की बात कह रहा है। 


शाम करीब चार बजे 16 दिन के एक बच्चे को एंबुलेंस से लेकर पहुंचे परिजनों ने आरोप लगाया कि पर्चा जमा करने के बाद भी डॉक्टर डेढ़ घंटे तक बच्चों को न ही भर्ती किए और न देखने पहुंचे। काफी मिन्नत के बाद चेक करने आए डॉक्टर ने एंबुलेंस में इलाज शुरू किया, उसी दौरान बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के परिजनों ने बताया कि बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी पर पहुंचे तो बताया गया कि इलाज इमरजेंसी में प्रथम तल पर बाल रोग विभाग में होगा। पिता आलोक श्रीवास्तव बाल रोग विभाग में गए और वहां तैनात डॉक्टर को बच्चे के एंबुलेंस में होने और सांस लेने में तकलीफ होने की जानकारी देने के बाद तत्काल इलाज शुरू करने की मिन्नतें कीं। 


ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बीएचयू अस्पताल का कटा पर्चा जमा तो कर लिया लेकिन बच्चे को वार्ड में भर्ती के लिए ले आने के बारे में पूछे जाने पर वेंटीलेंटर वाले बेड के बारे में जानकारी करने के बाद बताने की बात कही। इस दौरान डेढ़ घंटे तक बच्चा इलाज के अभाव में एंबुलेंस में तड़पता रहा। डेढ़ घंटे बाद किसी तरह डॉक्टर एंबुलेंस तक आए और बच्चे को देखना शुरू किया, उस समय उसकी धड़कन तेज चल रही थी। इलाज के दौरान एंबुलेंस में ही उसकी मौत हो गई। 

बच्चे के पिता ने बताया कि एक निजी अस्पताल से रेफर होने के बाद बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी में बच्चे को लेकर पहुंचे थे। क्रिटिकल केयर एंबुलेंस में बच्चा जिंदगी और मौत की जंग लड़ता रहा। डॉक्टरों से कई बार कहने के बाद भी बच्चे का इलाज समय से नहीं शुरू हो सका। मेरे लाल की एंबुलेंस में ही तड़प कर मौत हो गई। वह बार-बार यहीं कहते रहे कि अगर समय से बेटे को भर्ती करने का फैसला डॉक्टर ले लिए होते तो जान बच जाती। 

"बच्चों के इलाज में इस तरह की लापरवाही की घटना बहुत गंभीर है। इस पर बाल रोग विभाग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर जवाब मांगा जाएगा। बाल रोग विभाग के साथ ही इमरजेंसी में तैनात सभी सीएमओ को इलाज के लिए आने वाले मरीजों के भर्ती व्यवस्था की मॉनिटरिंग करते रहने को कहा गया है।"  प्रो. के.के. गुप्ता, चिकित्साधीक्षक