संपन्न हुआ 4 दिवसीय महापर्व: छठ की व्रती महिलाओं ने दिया उदयीमान सूर्य को अर्घ्य, चप्पे-चप्पे पर रही सुरक्षा व्यवस्था के मुकम्मल इंतजाम...

लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा  के अंतिम दिन यानी सोमवार को बड़ी संख्या में व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया।

संपन्न हुआ 4 दिवसीय महापर्व: छठ की व्रती महिलाओं ने दिया उदयीमान सूर्य को अर्घ्य, चप्पे-चप्पे पर रही सुरक्षा व्यवस्था के मुकम्मल इंतजाम...

वाराणसी,भदैनी मिरर। लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा  के अंतिम दिन यानी सोमवार को बड़ी संख्या में व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए आधी रात से ही व्रतियों की भीड़ घाटों, कुंडों और सरोवरों पर जुटने लगी थी। सभी अपनी अपनी वेदियों के पास इकठ्ठा होने लगे थे। सूर्योदय होते ही गंगा नदी में खड़ी व्रतियों के साथ उनके परिजनों ने भी सूर्य देवता को  अर्घ्य दिया और गंगा के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाई।  इसके साथ ही 4 चार दिवसीय महापर्व छठ संपन्न हो हुआ। वहीं सभी कुंडों तालाबों और घाटों पर खास रौनक भी दिखी।

यह है मान्यता
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है। छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं। संतानों की लंबी आयु के लिए भी यह पूजा की जाती है। वहीं यह भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था।तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) रखने की सलाह दी थी।

रविवार को दिया था डुबते सूर्य को अर्घ्य

सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई। इसके बाद शनिवार को व्रतियों ने ‘खरना’ का प्रसाद ग्रहण किया। खरना के दिन व्रती उपवास कर शाम को स्नान के बाद विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसी के साथ व्रती महिलाओं का दो दिवसीय निर्जला उपवास शुरू हो गया। इससे पहले रविवार को आस्थावानों ने डूबते सूरज को अर्घ्य दिया था।