Ganga Dussehra 2024 : क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा, जानें इस दिन स्नान-दान का क्या महत्व है...
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था. इस साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि रविवार 16 जून को पड़ रही है, इसी दिन गंगा दशहरा मनाया जाएगा. कहते हैं कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी रोगों और पापों से मुक्ति मिल जाती है.
Ganga Dussehra 2024 :ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था. इस साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि रविवार 16 जून को पड़ रही है, इसी दिन गंगा दशहरा मनाया जाएगा. कहते हैं कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी रोगों और पापों से मुक्ति मिल जाती है. गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का श्रेय राजा भागीरथ को जाता है, इसलिए इसे भागीरथी भी कहते हैं. जानिए ऋषि भागीरथ भगवान शिव की कृपा से कैसे गंगा को धरती पर लेकर आए थे.
जानें क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा का जन्म जगद्गुरु ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था। इसलिए इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। गंगा भारत की सबसे पवित्र नदी है. वहीं, कुछ मान्यताओं के अनुसार गंगा पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मीना की पुत्री थीं. मीना भगवान शिव की पत्नी पावर्ती की बहन थीं। वाल्मिकी रामायण, महाभारत, भागवत पुराण, वायु पुराण, विष्णुपुराण, हरवंश पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे धर्म ग्रंथों में गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का जिक्र मिलता है.
कहते हैं कि इच्छुक वंश के राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया था। वे हिमालय में चले गए और कठोर तप करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आने के लिए तैयार हो गईं. मगर ब्रह्माजी ने बताया कि गंगा का वेग इतना तेज है कि इससे धरती पर प्रलय आने का खतरा होगा. इस वेग को संभालने की ताकत सिर्फ भगवान शिव में थी.
दान का महत्व
इस दिन तरबूज, खरबूज, आम, पंखा, शर्बत, मटका आदि के दान का खास महत्व है. इस दिन जगह-जगह शर्बत की छबील भी लगाकर लोगों को शर्बत बांटा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन गर्मी में प्यासे को पानी या शर्बत मिलाकर पिलाने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है.