Shardiya Navratri 2024 : त्रिकूट पर्वत पर है देवी का एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहां होता है रोज ये चमत्कार
आज हम आपको माता रानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसके चमत्कार के बारें में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. बता दें कि ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इस मंदिर में रोज चमत्कार देखने को मिलता है, लेकिन आज तक कोई भी इसके पीछे का रहस्य नहीं जान पाया है
Shardiya Navratri 2024 : पूरे देश में आज से शारदीय नवरात्रि के पाव न पर्व की शुरुआत हो चुकी है. देशभर के देवी के मंदिरों में भक्तों की भाड़ी भीड़ उमड़ रही है. आज हम आपको माता रानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसके चमत्कार के बारें में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. बता दें कि ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इस मंदिर में रोज चमत्कार देखने को मिलता है, लेकिन आज तक कोई भी इसके पीछे का रहस्य नहीं जान पाया है, तो चलिए फिर जानते है कि आखिर वो कौन सा मंदिर है और वहां ऐसा कौन सा चमत्कार होता है….
यहां स्थित है मंदिर
हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वो मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर है, जहां मां शारदा देवी (Sharda Devi) विराजित है, इन्हें मैहर देवी भी कहा जाता है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर सती का हार गिरा था. पहाड़ की चोटी पर स्थित माता मैहर देवी का यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। यहां जो भक्त माता रानी के दर्शन को आते है उनके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी हेाती हैं.
रोज होता है ये चमत्कार
बता दें कि इस मंदिर में रोज एक चमत्कार होता है. रात में मंदिर के पट बंद होने के बाद पुजारी भी पहाड़ के नीचे चले जाते हैं, यहां रात के समय कोई नहीं रहता है, लेकिन अगली सुबह पुजारी के आने से पहले देवी मां के सामने ताजे फूल चढ़े दिखाई देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये ताजे फूल बहादुर योद्धा आल्हा और उदल द्वारा देवी मां को अर्पित किए जाते हैं. देवी को फूल चढ़ाने के बाद आला और ऊदल अदृश्य हो जाते हैं और प्रतिदिन मंदिर में माता की पूजा करने आते हैं.
माता ने दिया था अमर होने का वरादान
कहा जाता है कि इन दोनों योद्धाओं ने इस घने जंगल में एक पर्वत पर स्थित माता शारदा के पावन धाम की खोज की और यहां 12 वर्षों तक कड़ी तपस्या की. जिसके बाद माता ने उन्हें प्रसन्न होकर अमर होने का वरदान दिया था.
जीभ काटकर मां को किया था अर्पित
इसके अलावा, इस मंदिर को लेकर एक और किंवदंती है, जिसके अनुसार आला और ऊदल ने देवी को प्रसन्न करने के लिए अपनी जीभ काट कर उन्हेंअर्पित कर दिया. तब माँ उनकी भक्ति से प्रसन्न हुई और उनकी जीभ फिर से जोड़ दी. मान्यता है कि मां शारदा की सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती.
इस मंदिर में मां के दर्शन के लिए 1001 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से यहां रोपवे की सुविधा भी शुरू की गई है इससे आप यहां आसाना से पहुंच सकते है.