तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के हैं चर्चे, क्या सच में कम हो गया वाराणसी में 'मोदी मैजिक'

इस बार नरेंद्र मोदी का वाराणसी सीट से वोट मार्जिन काफी कम रहा. 2014 में पीएम मोदी ने यहां से रिकॅार्ड तोड़ मतों से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2019 में भी फिर इस सीट से चुनाव लड़े. तब उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनके ही संसदीय क्षेत्र से उन्हें पिछले वोटों के रिकॅार्ड की तुलना लोगों का कम वोट मिला. कहीं ऐसा तो नहीं कि इस बार लोगों पर मोदी मैजिक ज्यादा ना चल सका

तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के हैं चर्चे, क्या सच में कम हो गया वाराणसी में 'मोदी मैजिक'

वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार फिर प्रधानमंत्री मोदी चुनाव जीत गए है, उनकी इस जीत पर बीजेपी कार्यकर्ताओं व समर्थकों में खुशी की लहर है. वहीं उनके प्रतिद्वंदी इंडी गठबंधन प्रत्याशी अजय राय ने इस बार उन्हें तगड़ी टक्कर दी है. अगर पिछले आकड़ों की बात करें तो इस बार नरेंद्र मोदी का वाराणसी सीट से वोट मार्जिन काफी कम रहा. 2014 में पीएम मोदी ने यहां से रिकॅार्ड तोड़ मतों से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2019 में भी फिर इस सीट से चुनाव लड़े. तब उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उनके ही संसदीय क्षेत्र से उन्हें पिछले वोटों के रिकॅार्ड की तुलना लोगों का कम वोट मिला. कहीं ऐसा तो नहीं कि इस बार लोगों पर मोदी मैजिक ज्यादा ना चल सका. आइए एक नजर डालते है वाराणसी लोकसभा सीट के पुराने इतिहास पर और इस बार की वोट मार्जिन पर...

वाराणसी में किया वोटरों को साधने का पूरा प्रयास

16 मार्च को चुनाव आयोग ने देश में सात चरणों में मतदान कराने का ऐलान किया था. 75 दिनों के चुनाव प्रचार के दौरान सभी सियासतदानों ने मतदाताओं को साधने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन यूपी में वाराणसी लोकसभा सीट जो कि सबसे हॅाट सीट मानी जाती है, इस सीट पर वर्षों से बीजेपी का कब्जा रहा है, यहां के वोटरों को साधने के लिए सभी सियासी दलों ने पूरा दमखम लगा दिया. चाहे वो राहुल गांधी हो अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी या फिर नरेंद्र मोदी हो. इन सभी दिग्गज नेताओं ने यहां जनसभाएं, रैलियां और रोड शो कर काशीवासियों के वोट को अपने खाते में डालने का भरपूर प्रयास किया.

10 सालों में कई दौरे और करोंड़ों की सौगात


  
वहीं वाराणसी दौरे की बात करें तो इन 10 सालों के कार्यकाल में पीएम मोदी करीबन 48 बार वाराणसी दौरा कर चुके है. इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल समेत वाराणसी को कई करोड़ के परियोजनाओं की सौगात भी दी है और पूरे काशी की काया पलट की.

जानें वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास

वहीं वाराणसी लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो ये शहर दशकों से बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन साल 2014 में यहां से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र का ग्राफ और भी हाई हो गया. उस समय इस सीट पर नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल के बीच टक्कर थी. पीएम मोदी ने इस सीट पर 3 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर इतिहास रचा था, हालांकि केजरीवाल भी 2 लाख से ज्य़ादा वोटों से दूसरे नंबर पर रहे थे. इस निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है, ये दो प्रधानमंत्रियों की चुनावी लड़ाई का मैदान भी रहा है.

इस निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी का रिकॉर्ड रहा अच्छा

वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं. सन् 1957 के बाद से, बीजेपी ने सात बार और कांग्रेस ने छह बार इस सीट पर जीत हासिल की है. 1991 के बाद से बीजेपी का रिकॉर्ड बिल्कुल अच्छा रहा है, हालांकि एक बार, 2004 में इस सीट पर कांग्रेस से हार गई थी. यहां से कभी सपा, बसपा ने नहीं की जीत हासिल वाराणसी, उत्तर प्रदेश के उन ग्यारह निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी कभी जीत हासिल करने में सफल नहीं हो पाई है. वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से दो प्रधानमंत्रियों- पीएम मोदी और पूर्व पीएम चंद्र शेखर की चुनावी लड़ाई का मैदान रहा है, जिन्होंने 1977 में 47.9% के भारी अंतर से इस सीट पर जीत का परचम लहराया था.

2014-2019 को वोट रिकॅार्ड

वाराणसी सीट पर पीएम मोदी से पहले बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का कब्जा था. 2014 में, बीजेपी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि कांग्रेस को बाहर करने और केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का उनका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा, क्योंकि इस राज्य की लोकसभा में 80 सीटें हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं. 2014 में पीएम मोदी ने यहां से रिकॅार्ड तोड़ मतों से जीत हासिल की इसके बाद 2019 में भी फिर इस सीट से चुनाव लड़े. तब उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

पीएम मोदी को मिला था छप्पड़ फाड़ वोट 

सन् 1999 में बीजेपी ने 33.4 फीसदी वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी और 2004 में कांग्रेस ने 32.6 फीसद वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी। 2009 में, मुरली मनोहर जोशी ने 30.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए 56.4 प्रतिशत और 2019 में 63.6 प्रतिशत वोट मिला था. देखा जाए तो पिछले कुछ साल में विजयी उम्मीदवारों के वोट शेयर में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है.

इस बार घटा इतना वोट मार्जिन

इस बार पीएम मोदी को 6 लाख 12 हजार 970 वोट हासिल हुए है, वहीं इंडिया गठबंधन प्रत्याशी अजय राय को 4 लाख 60 हजार 457 वोट मिले है. यानी की पीएम मोदी इस बार सिर्फ 1 लाख 52 हजार 513 वोटों से ही विजय हुए है, जोकि एक बड़ा अंतर नहीं है. वहीं पिछले दो चुनाव के आकड़ों को देखा जाए तो इस बार के जीत के आकड़ों ने लोगों को सोचने पर मजबूर दिया है कि क्या सच में पीएम मोदी का वाराणसी में मैजिक कम हो गया है.

अजय राय ने पीएम मोदी दी कांटेदार टक्कर

वहीं अजय राय की बात करें तो वो इस वक्त यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं. और पांच बार विधायक रह चुके हैं. राय की भूमिहार समाज में अच्छी पैठ है. 2019 लोस चुनाव में अजय राय वाराणसी से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार थे और तीसरे स्थान पर रहे थे. तब अजय राय को 14.38 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय कांग्रेस के टिकट पर वाराणसी से चुनाव लड़े थे. और तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें 7.34 फीसदी वोट मिले थे और इस बार फिर वो इंडी गठबंधन से उम्मीदवार बनकर चुनावी मैदान में उतरे और पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा और उन्हें कांटे की टक्कर दी.