चंदौली के लोगों के दिलों पर राज करते थे नेताजी, इन लोगों से रहा है कुछ खास लगाव...
चंदौली के लोगों को टीस रही है मुलायम सिंह यादव का न रहना. वैसे तो प्रदेश के हर जनपद के कुछ लोगों को वह हमेशा याद रखते थे. उनके निधन से चंदौली में गम का माहौल है
चंदौली: धरतीपुत्र कहे जाने वाले नेताजी मुलायम सिंह यादव का सोमवार की सुबह दिल्ली के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। जिसके बाद हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। वहीं अगर हम उनके व्यक्तित्व की बात कर ले तो यूपी के हर एक जिले से उनका कोई न कोई खास नाता जरूर रहा है। शायद इसी वजह से वह हजारों लोगों के दिलों पर राज करते थे। वैसे ही मुलायम सिंह यादव का कुछ विशेष नाता चंदौली जनपद से भी रहा है।जिसे लोग एक बड़ी मिसाल मांनते हैं। और आज भी लोग याद करते हैं। नेताजी मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े हुए नेता थे वह सब को साथ में लेकर चलने का काम करते थे। चाहे वह विपक्षी दल के नेता ही क्यों ना हो।
जानिए मुलायम सिंह यादव की दत्तक पुत्री के बासमती कोल के बारे मेें
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने नक्सलवाद को कम करने के लिए हार्डकोर नक्सली को एक चुनावी सभा के दौरान अपनी दत्तक पुत्री बताया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में इन्हें महिला आयोग का सदस्य भी नामित किया गया था।किसी समय चंदौली जिले के नक्सल प्रभावित नौगढ़ में आतंक का पर्याय मानी जाने वाली बासमती कोल की नौगढ़ के जंगल में खून से सनी लाश मिली थी। बासमती को प्रदेश की समाजवादी पार्टी की पूर्व सरकार ने महिला आयोग का सदस्य भी मनोनीत किया था।और जब भी नेता जी चंदौली आते तो बासमती कोल से मुलाकात जरूर करते थे। मुलायम सिंह यादव बासमती कोल के घर पहुंचकर जंगलों के साग और रोटी भी खाए थे।
मुलायम सिंह यादव का जिले में सबसे पहले यहां का लगाव
इसके अलावा आपको बताते चलें कि मुलायम सिंह यादव की तरफ से चंदौली जिले को कई सांसद और विधायक मिले। जिसमें मुख्य रुप से सदर विकास खंड के बिसौरी गांव से राम मनोहर लोहिया ने श्रमदान कर गांव के नाम पर देश के पटल पर ला दिया था। तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भी इस गांव में पहुंचकर समाजवादियों में जोश भरा था और पार्टी गठन से पहले क्रांति दल के रथ को लेकर 1992 में पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने समाजवादी नेता अवधेश नारायण सिंह के भाई राजनाथ सिंह से भी मुलाकात किया था। इसके अलावा काशी विद्यापीठ के पूर्व अध्यक्ष आनंद प्रकाश रंजन के पिताजी शिवपूजन सिंह से मुलाकात कर समाजवाद को आगे बढ़ाने का भी न्योता दिया था 3 जनवरी 1997 को बिसौरी गांव पहुंचकर रक्षा मंत्री के तौर पर उन्हें जेल में साथ रहे अवधेश नारायण सिंह के मूर्ति का अनावरण किया।
पूर्व विधायक स्वं० गंजी प्रसाद से भी था 'नेता जी' का खास लगाव
आपको बताते चलें कि चंदौली जिले में फूलन देवी के बाद अगर हम बात कर लें तो और विभूति ऐसे थे। जिनसे भी नेताजी का एक खास लगाव रहा। और वह थे मुगलसराय विधानसभा क्षेत्र के बौरी गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वर्गीय गंजी प्रसाद यादव। अपने सरल, सादगी व स्वच्छ विचार के प्रतिमूर्ति रहें स्व० गंजी प्रसाद ने जहां अपने जीवन काल में अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने का कार्य किया था।वहीं देश की आजादी के बाद सामाजिक कार्य में प्रधान, ब्लाक प्रमुख व तीन बार विधायक रहते हुए जीवन पर्यंत समाज का उत्थान किया। क्षेत्र व समाज के लोग उन्हें अपना अभिभावक मानते थे। जिसमें मुख्य रुप से गंजी प्रसाद ने विधानसभा चुनाव में वर्ष 1989 निर्दल प्रत्याशी के रूप में जीतकर मुलायम सिंह यादव के समर्थन दिया था। जिस का निर्वहन मुलायम सिंह ने जीवनभर किया। और नेताजी हमेशा गंजी प्रसाद यादव से जिले का हालचाल लिया करते थे। इसके अलावा गंजी प्रसाद के पुत्र पूर्व सांसद रामकिशन यादव ने बताया कि जब पिताजी बीमार हुए तो उन्हें देखने के लिए मुलायम सिंह के घर पहुंच गए। इलाज का पूरा खर्च उन्होंने उठाया। तत्कालीन रक्षा मंत्री रहते हुए 1997 में और मुख्यमंत्री होने पर 1 जून को गंजे प्रसाद की पुण्यतिथि पर अभी घर पहुंचे थे। वहां ने बताया कि मेरे बेटी की शादी में वर्ष 2006 में भी नेता जी पहुंचे और वर-वधू को आशीर्वाद दिया।और गंजी प्रसाद यादव के पुत्र रामकिशुन यादव के चंदौली की लोक सभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। जो कि आज भी जमीन से जुड़े नेता है। और अपने पिताजी के बाद पूर्वांचल क्षेत्र के एक कद्दावर नेता के रूप में देखे जाते हैं।उनके एक और पुत्र बाबू लाल यादव नियमताबाद ब्लॉक की सीट से ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं।
संवाददाता कार्तिकेय पांडेय