शहनाई सम्राट की मनी जयंती: दरगाह-ए-फातमान में उस्ताद बिस्मिल्लाह के कब्र पर दुआख्वानी कर चढ़ाए गए अक़ीदत के फूल...
Money Jubilee of Shehnai Emperor Flowers of aqeedat offered by prayer at the tomb of Ustad Bismillah in Dargah-e-Fatman शहनाई सम्राट की मनी जयंती: दरगाह-ए-फातमान में उस्ताद बिस्मिल्लाह के कब्र पर दुआख्वानी कर चढ़ाए गए अक़ीदत के फूल...
वाराणसी,भदैनी मिरर। शहनाई सम्राट भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 106वीं जयंती के अवसर पर सिगरा स्थित दरगाहे फातमान पर उनके परिजनों और प्रशंसकों ने उन्हें शिद्दत से याद किया। इस मौके पर परिजनों ने उस्ताद की कब्र पर अकीदत के फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही दुआख्वानी कर फातिहा पढ़ी गई। कब्र पर फूल चढ़ाने के बाद खिराज़े अक़ीदत पेश की गई।
इस दौरान शकील जादूगर ने बताया कि उस्ताद में बनारसीपन कूट-कूट कर भरा था। इतने महान कलाकार होते हुए भी जिस सादगी का जीवन उन्होंने व्यतीत किया था, वह हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने बताया कि जयंती पर प्रदेश सरकार का कोई नुमाइंदा उस्ताद के मकबरे पर नहीं आया। शकील अहमद जादूगर ने बताया कि कभी एक अमेरिका पूंजीपति ने उस्ताद को अमेरिका में बस जाने का न्योता दिया था, जिसे यह कहते हुए उन्होंने ठुकरा दिया कि ’मेरा बनारस यहां बसा दो, गंगा बहा दो मैं खुद-ब-खुद यहां बस जाउंगा’।
जादूगर ने बताया कि उस्ताद ने हमेशा फकीरी की जिन्दगी अख्तियार किया अगर वो चाहते तो खूब ऐशो-आराम से रह सकते थे मगर उन्होंने कला की साधना की और उसी हाल में दुनिया से रुख़्सत हुए। आफाक अहमद ने बताया कि दादा के जाने के बाद से न तो अधिकारी आते हैं और न ही उनके चाहने वाले। इसमें उस्ताद की बेटी जरीना बेगम, अजरा बेगम, पौत्र आफाक हैदर, इख़्तेखार अहमद, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां फाउंडेशन के प्रवक्ता शकील अहमद जादूगर आदि शामिल रहे।