मुलायम सिंह के करीबी, सात बार के MLA....जानें कौन है माता प्रसाद? जो विधानसभा में अब निभाएंगे अखिलेश यादव की जिम्मेदारी  

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बना दिया है. माता प्रसाद पांडेय के नाम के ऐलान से पहले शिवपाल यादव, इंद्रजीत सहरोज और तूफानी सरोज के नाम चर्चा जोरों से थी, लेकिन बीते रविवार को लखनऊ में विधायकों के साथ करीब 3 घंटे चली बैठक के बाद अखिलेश यादव ने ब्राह्मण दांव चलते हुए माता प्रसाद पांडेय को विधायक दल का नेता चुनकर सभी को चौंका दिया.

मुलायम सिंह के करीबी, सात बार के MLA....जानें कौन है माता प्रसाद? जो विधानसभा में अब निभाएंगे अखिलेश यादव की जिम्मेदारी  

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बना दिया है. माता प्रसाद पांडेय के नाम के ऐलान से पहले शिवपाल यादव, इंद्रजीत सहरोज और तूफानी सरोज के नाम चर्चा जोरों से थी, लेकिन बीते रविवार को लखनऊ में विधायकों के साथ करीब 3 घंटे चली बैठक के बाद अखिलेश यादव ने ब्राह्मण दांव चलते हुए माता प्रसाद पांडेय को विधायक दल का नेता चुनकर सभी को चौंका दिया. वहीं माता प्रसाद पांडेय के नेता विपक्ष बनने के बाद से ही सियासी जंग भी तेज हो गई है. आइए जानते है कि माता प्रसाद कौन है जिन्हें अखिलेश ने इतनी अहम जिम्मेदारी सौंपी है..

जानें कौन है माता प्रसाद

माता प्रसाद पांडेय का जन्म 31 दिसंबर 1942 को सिद्धार्थनगर में हुआ है. छात्रा जीवन से ही इनका झुकाव राजनीति की ओर रहा. समाज के गरीब और वंचित लोगों के उत्थान के लिए ये कई राजनीतिक आंदोलन में भी शामिल रहे. मुलायम सिंह के जमाने से राजनीति करते आ रहे माता प्रसाद की गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है. इन्हें मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता था. पिछले चुनाव में सिद्धार्थनगर और उसके आसपास के जिलों की कुछ सीटों पर टिकट वितरण में भी अहम भूमिका निभाई थी. माता प्रसाद पांडेय सिद्धार्थनगर के इटवा से सपा विधायक भी हैं.

माता प्रसाद पांडेय का राजनीतिक सफर

वहीं माता प्रसाद पांडेय के सियासी सफर की बात करें तो उन्होंने अपना पहला चुनाव सन् 1980 में जनता पार्टी से लड़ा था और पहली बार विधानसभा में जगह बनाई. इसके बाद सन् 1985 के चुनाव में इन्होंने लोकदल से जीत हासिल की थी. फिर सन् 1989 के चुनाव में जनता दल से विजय हासिल की. साल 1991 में इन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. सन् 1996 के चुनाव में भी इन्हें फिर से पराजय का सामना करना पड़ा. इन दोनों चुनाव में ये तीसरे नंबर पर रहे.

2002 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा

2002 के चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में इन्होंने चुनाव लड़ा और एक बार फिर सदन में पहुंचे. 2007 और 2012 में ये फिर से सपा से ही विधानसभा पहुंचे. हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा था. साल 2022 में अखिलेश यादव ने इन पर एक बार फिर से इनपर भरोसा जताया और चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय लिया. इस बार माता प्रसाद अखिलेश के उम्मीदों पर खरे उतरे और जीत हासिल कर सातवीं बार विधानसभा पहुंचे.  1991 में स्वास्थ्य मंत्री और 2003 में श्रम और रोजगार मंत्री बने रहे.