BIG BREAKING: बेनियाबाग कब्रिस्तान के बहुचर्चित हत्याकांड में 3 आरोपियों को फांसी और 1 को उम्रकैद की कोर्ट ने सुनाई सजा...
चौक के बेनियाबाग स्थित रहीम साहब बाबा की मजार पर वर्ष 2012 में चार लोगों के हत्याकांड में जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेस की अदालत ने तीन हत्यारों अमजद, रमजान व अरशद को फांसी और 1 महिला आरोपी शकीला को उम्रकैद के साथ ही 75 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। चौक के बेनियाबाग स्थित रहीम साहब बाबा की मजार पर वर्ष 2012 में चार लोगों के हत्याकांड में जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेस की अदालत ने तीन हत्यारों अमजद, रमजान व अरशद को फांसी और 1 महिला आरोपी शकीला को उम्रकैद के साथ ही 75 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है. अर्थदंड का आधा हिस्सा वादी को क्षतिपूर्ति के रुप में देने का कोर्ट ने हुक्म सुनाया है. जबकि इकबाल राइन पर आरोप सिद्ध न होने से दोषमुक्त कर दिया है. अदालत में अभियोजन की ओर से डीसीजी आलोकचंद्र शुक्ल और वादी के अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने पक्ष रखा. अदालत में 13 गवाह का बयान कराया गया था.
आजीवन कारावास की सजा प्राप्त शकीला, अरशद, रमजान, अमजद को मृत्युदण्ड से कोर्ट ने किया दंडित। (बाएं से दाएं क्रमशः)
कब्रिस्तान के जमीन का था विवाद
अभियोजन के अनुसार चेतगंज के सरायगोवर्धन निवासी सईद उर्फ काजू ने 16 जून 2012 को चौक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. काजू के मुताबिक वह भाई मो. शफीक उर्फ राजू, मो. शकील उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी और शालू के साथ बाबा रहीम शाह की मजार से निकलकर घर की ओर जा रहा था. इस दौरान अमजद, उसकी पत्नी शकीला, बेटी शबनम, इकबाल राइन, अरशद और रमजान आदि ने उन्हें कब्रिस्तान के समीप घेर लिया. लाठी-डंडे से पीटने लगे. शोर सुनकर मजार की साफ-सफाई करने वाला कामिल और उसका भतीजा बीच-बचाव करने पहुंचा तो हमलावरों ने उन्हें भी बेरहमी से पीटा. जिस कारण शफीक व कामिल की मौके पर ही मौत हो गई थी. अन्य घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शकील उर्फ जाऊ की मौत हो गई थी. वहीं गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीमी की भी कुछ दिनों बाद अस्पताल में मौत हुई. इस घटना के पीछे कब्रिस्तान की जमीन से लगायत आरोपी अमजद के मकान का पड़ोसी से विवाद था.