एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह ने बढ़ाया BHU और वाराणसी का गौरव, नासा की वेबसाइट में बग खोजकर 10 दिन की रिसर्च के बाद हासिल की बड़ी सफलता
बीएचयू के अटल इंक्यूबेशन सेंटर से जुड़े युवा इनोवेटर और एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह ने एक महत्वपूर्ण खोज की है. उन्होंने नासा की वेबसाइट में एक ऐसी तकनीकी खामी (बग) का पता लगाया
वाराणसी, भदैनी मिरर। बीएचयू के अटल इंक्यूबेशन सेंटर से जुड़े युवा इनोवेटर और एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह ने एक महत्वपूर्ण खोज की है. उन्होंने नासा की वेबसाइट में एक ऐसी तकनीकी खामी (बग) का पता लगाया, जो अगर हैकर्स के हाथ लग जाती तो नासा की साइट को नुकसान पहुंच सकता था. इस बग के चलते नासा की वेबसाइट पर भारी ट्रैफिक के दौरान साइट धीमी हो सकती थी और यहां से गोपनीय जानकारी चोरी होने का भी खतरा था.
मृत्युंजय ने एक ओपन चैलेंज के तहत इस बग को ढूंढा, जिसे 'पी-5 इंफॉर्मेशनल वल्नरबिलिटी' कहा जा रहा है. बग क्राउड नाम की कंपनी ने दुनिया भर के हैकर्स को यह चैलेंज दिया था कि वे बड़ी वेबसाइटों में तकनीकी कमजोरियों को ढूंढें. मृत्युंजय ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए नासा की वेबसाइट पर 10 दिन तक गहराई से रिसर्च की. अपने हैकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से उन्होंने वेबसाइट के अंदर प्रोग्रामिंग में खामियां ढूंढी.
हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट को नासा ने नकार दिया था, लेकिन मृत्युंजय ने हार नहीं मानी. 10वें दिन एक संशोधित रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे नासा ने तुरंत स्वीकार किया और बग को सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह ने बताया कि किसी कंपनी की वेबसाइट में तकनीकी खामियां ढूंढने की प्रक्रिया को हैकर्स की भाषा में "बग बाउंटी" कहते हैं. इसका मतलब होता है कि कंपनी एक ओपन चैलेंज देती है, जिसमें प्रतिभागी वेबसाइट की कमजोरियों को खोजते हैं. उद्देश्य यह होता है कि खतरनाक ब्लैक हैट हैकर्स, जो वेबसाइट को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनसे पहले इन खामियों को खोजकर ठीक किया जा सके. यही प्रक्रिया "बग बाउंटी" के रूप में जानी जाती है.
इस सफलता के लिए अटल इंक्यूबेशन सेंटर के डायरेक्टर प्रो. पीवी राजीव और नासा ने मृत्युंजय को बधाई दी. मृत्युंजय की इस उपलब्धि ने बीएचयू और वाराणसी का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है.