ज्ञानवापी प्रकरण: हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने जबरदस्त तरीके से रखा पक्ष, बुधवार दोपहर बाद फिर होगी सुनवाई...

ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग मामले की मंगलवार को  जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई।जिसमें हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपनी अपनी दलीलें पेश की।

ज्ञानवापी प्रकरण: हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने जबरदस्त तरीके से रखा पक्ष, बुधवार दोपहर बाद फिर होगी सुनवाई...

वाराणसी,भदैनी मिरर। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग मामले की मंगलवार को  जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। जिसमे मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस में दलीलें दी कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है। मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।इसके साथ ही कानूनी नजीरें भी पेश की। कहा कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए। 

इसके बाद हिंदू पक्ष ने अपनी बहस में कहा कि नमाज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती है। हमारा मुकदमा सुनवाई योग्य है। ज्ञानवापी प्रकरण में वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है। दलीलों को जिला जज ने आगे की सुनवाई बुधवार की दोपहर से होने का आदेश दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुन रही है। इससे पहले 4 जुलाई को सुनवाई हुई थी। तब मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के 51 बिंदुओं पर अपनी दलीलें रखी थी।

हिंदू पक्ष ने बनाया ट्रस्ट 

हिंदू पक्ष ने श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास नाम से ट्रस्ट बनाया है। सोमवार की शाम इस ट्रस्ट की बैठक विवेकानंद नगर कॉलोनी में हुई। बैठक में एडवोकेट हरि शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री थीं। हिंदू पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य, शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी 4 महिलाएं और ट्रस्ट के अन्य सदस्य शामिल थे। इस दौरान डॉ. सोहनलाल आर्य ने कहा, ''यह ट्रस्ट ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों को कोर्ट में देखने और आगे की रणनीति तय करने के लिए बनाया गया है। मुकदमों की सुनवाई में जो खर्च आएगा, वह भी ट्रस्ट ही पूरा करेगा। ट्रस्ट की इस बैठक में मां शृंगार गौरी केस की पांच वादिनी महिलाओं में से एक राखी सिंह नहीं शामिल हुईं।