संकटमोचन और कैंट रेलवे स्टेशन के सीरियल ब्लास्ट के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई सजा-ए-मौत, कोर्ट ने कहा तब तक लटकाएं जब तक मौत न हो जाए...

16 साल पहले वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल बम ब्लास्ट में आरोपी वसीउल्लाह को कोर्ट ने सजा-ए-मौत दी है. दो दिन पहले ही कोर्ट ने वसीउल्लाह को मामले में दोषी करार दिया था.

संकटमोचन और कैंट रेलवे स्टेशन के सीरियल ब्लास्ट के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई सजा-ए-मौत, कोर्ट ने कहा तब तक लटकाएं जब तक मौत न हो जाए...

वाराणसी , भदैनी मिरर। सोलह साल पहले हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में गाजियाबाद कोर्ट में जिला जज जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने आरोपी वलीउल्लाह को दोषी करार दिए जाने के बाद फांसी की सजा सुना दी है। कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाते हुए टिप्पणी किया की आरोपी को फंदे से तब तक लटकाएं जब तक इसकी मौत न हो जाए। इसके पहले कोर्ट ने 4 जून को सुनवाई करते हुए दोषी ठहराया था और फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें, की संकटमोचन और कैंट स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट में 18 लोगों की मौत हुई थी जबकि 35 से ज्यादा लोगों लोग घायल हुए थे। 

ज्ञातव्य हो की सात मार्च, 2006 की शाम वाराणसी में संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था। इसके साथ ही दशाश्वमेध घाट के व्यस्ततम इलाके डेढ़सी पुल पर कुकर बम बरामद हुआ था। उच्च न्यायालय के आदेश पर मामला सुनवाई के लिए गाजियाबाद ट्रांसफर कर दिया गया था। अभियोजन की ओर से GRP कैंट ब्लास्ट मामले में 53 और संकट मोचन ब्लास्ट केस में 52 गवाह पेश किए गए थे। सीरियल ब्लास्ट के सिलसिले में यूपी पुलिस ने 5 अप्रैल 2006 को प्रयागराज जिले के फूलपुर गांव के रहने वाले वलीउल्लाह को अरेस्ट किया था। पुलिस ने पुख्ता सबूतों के आधार पर यह दावा किया था  कि संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन वाराणसी पर ब्लास्ट की साजिश रचने में वलीउल्लाह की ही भूमिका थी। पुलिस ने वलीउल्लाह के ताल्लुक आतंकी संगठन से भी बताए थे। 

पकड़ में नहीं आ सके तीन आरोपी

वलीउल्लाह से पूछताछ में उसके साथियों मुस्तकीम, जकारिया और शमीम के नाम भी सामने आए थे। ये सभी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। बम धमाकों के 16 साल बाद भी ये आरोपी नहीं पकड़े जा सके हैं। ऐसा माना जाता है कि सुरक्षा एजेंसियों का शिकंजा कसने के बाद ये आरोपी बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान भाग गए थे और फिर लौटकर नहीं आए। इन धमाकों में 16 साल बाद भी तीन आरोपियों का नहीं पकड़ा जाना देश की सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े करता है।