पेपर लीक और परीक्षाओं के रद्द होने को लेकर अखिलेश यादव ने फिर सरकार को घेरा, खुला पत्र लिखकर की ये मांग...
लगातार पेपर लीक और परीक्षाओं के रद्द होने को लेकर एक बार फिर अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखते हुए मांग कि है कि युवाओं के मामले भ्रष्टाचार से मुक्त रखे. युवा हताश हैं वो परेशान है और व्यवस्था पर से भरोसा खो रहे हैं...
लगातार पेपर लीक और परीक्षाओं के रद्द होने को लेकर एक बार फिर अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखते हुए मांग कि है कि युवाओं के मामले भ्रष्टाचार से मुक्त रखे. युवा हताश हैं वो परेशान है और व्यवस्था पर से भरोसा खो रहे हैं...
जानें अखिलेश यादव ने पत्र में क्या लिखा
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट पर सरकार को एक खुला पत्र लिखते हुए कहा-विभिन्न परीक्षाओं का पेपर लीक होना, परीक्षा में सेंटर से लेकर सॉल्वर तक की धांधली होना, परीक्षा करानेवाली एजेंसी का काम शक़ के घेरे में आना, रिज़ल्ट में ग्रेस मॉर्क्स की हेराफेरी होना, मनचाहे सेंटर मिलना, एक ही सेंटर से कई कैंडिडेट का सेलेक्ट होना और 100% आना केवल एग्ज़ाम मैनेजमेंट की समस्या नहीं है. इन सबसे बढ़कर ये एक मानसिक त्रासदी है जिससे न केवल परीक्षा देनेवाले युवा बल्कि उनके माता-पिता भी ग्रसित हो रहे हैं.
उन्होंने आगे लिखा, अगर पुलिस भर्ती, एआरओ, नीट जैसी धांधली की शिकार अन्य परीक्षाएं रद्द होकर दुबारा होती भी हैं तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि अगली बार परीक्षा आयोजित किये जाने पर ऐसा कुछ भी घपला घोटाला नहीं होगा. जब सरकार वही है और उसकी व्यवस्था भी वही है तो ये सब धाँधलियाँ कहीं फिर से सरकार संरक्षित 'परीक्षा माफ़ियाओं' के लिए पैसा कमाने का ज़रिया न बन जाएं.
अखिलेश ने लिखा, युवा मानस वैसे ही बहुत नाजुक होता है, ऐसे में उनको सँभालना माता-पिता के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होता है। ऐसी घटनाओं से हताश-निराश होकर, जब माता-पिता खुद व्यवस्था पर भरोसा खो देते हैं और उन्हें अपने बच्चों का भविष्य अंधकारमय दिखने लगता है तो भला वो क्या अपने बच्चों का सहारा बनेंगे. इसीलिए सरकार इस संकट को एक मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी देखे और कम-से-कम युवाओं के मामलों को अपने चौतरफा भ्रष्टाचार से मुक्त रखे। ये देश के भविष्य का सवाल है.