जिले के हर ब्लॉक से 10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर किया जाएगा
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व पीएम टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में क्षय रोगियों के सम्पूर्ण जांच, उपचार, पोषण व भावनात्मक सहयोग के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं.
वाराणसी, भदैनी मिरर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व पीएम टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में क्षय रोगियों के सम्पूर्ण जांच, उपचार, पोषण व भावनात्मक सहयोग के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में जिले में नवीन प्रयास किया है. इसके तहत प्रथम चरण में प्रत्येक ब्लॉक के 10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर वहाँ सघन स्क्रीनिंग अभियान चलाया जाएगा. टीबी के पुष्ट रोगियों को तत्काल प्रभाव से उपचार पर रखा जाएगा और उनका सम्पूर्ण उपचार करते हुए जल्द से जल्द टीबी से स्वस्थ किया जाएगा. ऐसे ही 10-10 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाया जाएगा.
इस संबंध में शनिवार को विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल ने टीबी कार्यक्रम की समीक्षा बैठक कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी व जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय को कई निर्देश दिए. सीडीओ ने समस्त एनटीईपी के सीनियर टीबी लैब सुपरवाइज़र (एसटीएलएस) को निर्देशित किया कि जिले के सभी क्षय रोगियों का यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्ट (यूडीएसटी) किया जाए. इस प्रक्रिया से उन क्षय रोगियों की पहचान होगी जिन्हें ड्रग सेंसेटिव टीबी (डीएसटीबी) उपचार के बजाय ड्रग प्रतिरोधी टीबी (डीआरटीबी) उपचार शुरू करने की आवश्यकता है. यह प्रक्रिया टीबी का उपचार शुरू करने से पहले, निदान के अधिकतम 15 दिनों के भीतर की जानी चाहिए. क्षय रोगियों को वितरित की जाने वाली पोषण पोटली के लिए सभी विभागों को पत्र भेजा जाए कि स्वयं सहायता समूह से क्रय कर पोटली बांटी जाए. पोटली के लिए भुगतान का लिंक शेयर किया जाए एवं उसी से भुगतान किया जाए. सभी को क्यूआर कोड साझा किया जाए. टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत कार्यरत पीरामल फाउंडेशन के द्वारा किए गए कार्य का फीडबैक लिया जाए. हर ब्लॉक के 10-10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर घर-घर स्क्रीनिंग, सैंपल कलेक्शन व मॉनिटरिंग के द्वारा कराई जाए. नगरीय क्षेत्र में भी इसी तरह की गतिविधियां संचालित की जाएं. क्षय रोग के प्रति जागरूक करने के लिए एक बुकलेट बनाई जाए. निजी क्षेत्र का नोटिफिकेशन बढ़ाया जाए। दूसरे जिलों के क्षय रोगियों को संबन्धित जिले को रेफर करें. उन्होंने निर्देशित किया कि एमडीआर मरीजों का किसी भी निजी हॉस्पिटल में उपचार न किया जाए. सभी एमडीआर मरीजों का राशन कार्ड बनवाने के लिए प्रयास किया जाए.
डीटीओ ने बताया कि इस साल जिले में अब तक 11,203 क्षय रोगियों को नोटिफ़ाइ किया जा चुका है. इसमें 7,268 रोगी सरकारी क्षेत्र व 3,935 निजी क्षेत्र के शामिल हैं. वर्तमान में 13,074 क्षय रोगियों का उपचार चल रहा है. इसमें 6,825 डीएसटीबी, 670 डीआरटीबी और 5,579 रोगियों की टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी चल रही है. इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में ट्रीटमेंट सक्सेस रेट 89% देखा गया जबकि वर्ष 2022 में यह बढ़कर 91% हो गया है. इस दौरान डिप्टी डीटीओ डॉ अमित सिंह, डीपीसी संजय चौधरी, पीपीएम कोओर्डिनेटर नमन गुप्ता, डीपीटीसी विनय मिश्रा, मेडिकल ऑफिसर टीबी क्लीनिक, एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे.