स्वामीनाथ अखाड़े ने तोड़ी रिवायत, जहां लड़कियां भी दिखाती है दांव-पेंच, नाग पंचमी पर हुआ दंगल...
वाराणसी के तुलसीघाट स्थित स्वामीनाथ अखाड़े ने पुरानी परंपरा को तोड़कर अपने यहां अखाड़े के द्वार पहलवान लड़कियों के लिए खोल दिया. जिसके बाद यहां पिछले पांच सालों से लड़कियां न केवल अभ्यास करती है बल्कि पुरुषों के समानांतर दंगल भी लड़ती है.
वाराणसी,भदैनी मिरर। महिला सशक्तिकरण को साकार करने के लिए तुलसीघाट स्थित स्वामीनाथ अखाड़े ने जो पहल शुरु की वह आज धीरे-धीरे पूरे देश के चर्चा का विषय बन गया है. जब कुश्ती लड़ने वाली लड़कियों को अखाड़े की तहलीज में आने की पाबंदी थी तो चार साल पहले अखाड़े के महंत प्रोफेसर विशम्भरनाथ मिश्र ने लड़कियों को अपने अखाड़े में प्रवेश दिया और आज रियल में यह लड़कियां दंगल लड़ रही है.
स्वामीनाथ अखाड़े ने 478 साल पुरानी रिवायत को तोड़ते हुए अपने यहां लड़कियों के लिए पहलवानी का रास्ता खोला तो आज वह लड़कियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग भी कर रही है. बता दे इस अखाड़े में गोस्वामी तुलसीदास जी भी रियाज किया करते थे. तुलसी घाट पर स्थित अखाड़े में पहले पुरुष पहलवानी करते हुए दिखते थे, लेकिन संकट मोचन के महंत प्रो. विशम्भर नाथ मिश्रा ने समाज के मिथक को तोड़ते हुए महिलाओं को इस अखाड़े में एंट्री दिलाई थी.
अखाड़े में दांव पेंच अपनाने वाली कशिश यादव और आस्था वर्मा कहती है की यह लड़कियों के लिए सौभाग्य की बात है की बनारस का इकलौता अखाड़ा है जिसके द्वार लड़कियों के लिए खुले है. और हमनें यहां कुश्ती के कई दांव पेंच सीखे है. यह परंपरा हम लोगों से शुरु हुई थी और लगातार हम लोग यहां अभ्यास करते है.
प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्रा ने कहा कि आज नागपंचमी का दिन है और एक प्रकार से अखाड़े का एनुअल मीट है. आज अखाड़े का विधिवत पूजा होता है यहां हनुमान जी का विग्रह जो संकट मोचन मंदिर से यहां लाया जाता है. यहां हनुमान जी का विधिवत पूजा होता है और जो भी लड़के यहां अखाड़े में सीखते हैं उनका एक प्रदर्शन भी हम लोग देखते हैं. इसमें हम यह देखते हैं कि कौन कहां कमजोर है और कहां ठीक करना है.
उन्होंने कहा कि यहां पहले सिर्फ लड़के लड़ा करते थे लेकिन यहां 5 वर्ष पहले लड़कियों को भी स्थान दिया गया और यहां लड़कियां भी लड़कों की तरह प्रदर्शन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वह वूमेन एंपावरमेंट कि जो हम बात करते हैं और जहां काम करने की बात आती है वहां कदम पीछे हटाते हैं लेकिन हम पीछे नहीं हटते हैं और यहां लड़कियां लड़कों के सामान कुश्ती सीखती हैं और तमाम मंच पर वह प्रतिभाग भी करती हैं.
यह रहे मौजूद
कशिश, आस्था, पलक, पायल, अंजलि श्रृष्टि, गूंगून, सुभाष, मुकेश यादव पूर्व यूपी केशरी , उमेश , अजय, प्रांजल, कमल , सुरेश यादव मौजूद रहे.