कैसे एक बैक बेंचर बना एथिकल हैकर, आज साइबर फ्रॅाड के शिकार लोगों की कर रहा मदद...

काशी के होनहार एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. यह शख्स कैसे खतरनाक साइबर हैकर्स की नाक में नकेल डालकर लोगों के पैसे वापस करवा रहा है और कैसे लोगों को इनसे अवेयर कर रहा? इन सब पर भदैनी मिरर की संवाददाता अंकिता यादव ने मृत्युंजय सिंह से बातचीत की और उसके पूरे जीवन को समझा कि कैसे एक बैक बैंचर आज लोगों की मेहनत की कमाई को बचाने में उनकी मदद कर रहा है.

कैसे एक बैक बेंचर बना एथिकल हैकर, आज साइबर फ्रॅाड के शिकार लोगों की कर रहा मदद...

हेलो आप के लड़के ने एक लड़की का रेप किया है. लड़की की शिकायत पर हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है. उसे छुड़ाना है तो आप को हमें पैसे देने होंगे. हेलो आप के नाम से एक शेयर अलाट हुआ है. कंपनी आप को 100 रुपए का शेयर 50 रुपए में देगी. इन दोनों बातों के झांसे में आकर दोनों ही व्यक्तियों ने अनजान फोन काल की बिना तफ्तीश किए पैसे ट्रांसफर किए और उनके साथ साइबर फ्राड हो गया. 

ऐसा ही नहीं इधर कुछ दिनों में लगातार लोगों को फंसाकर, डिजिटल अरेस्ट करके लाखों रुपए ट्रांसफर करवाने के मामले में भी संज्ञान में आये हैं. ऐसे ही मामलों से लोगों को बचाने के काम में लगे काशी के होनहार एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. यह शख्स कैसे खतरनाक साइबर हैकर्स की नाक में नकेल डालकर लोगों के पैसे वापस करवा रहा है और कैसे लोगों को इनसे अवेयर कर रहा? इन सब पर भदैनी मिरर की संवाददाता अंकिता यादव ने मृत्युंजय से बातचीत की और उसके पूरे जीवन को समझा कि कैसे एक बैक बैंचर आज लोगों की मेहनत की कमाई को बचाने में उनकी मदद कर रहा है.

सबसे पहले बात मृत्युंजय के बचपन और बैक बेंचर से फर्स्ट क्लास स्टूडेंट बनने की 

मृत्युंजय सिंह जो कि अभी 26 साल के है, उनका बचपन चंदौली के औरैया गांव में ही बीता और गांव के ही प्राइवेट स्कूल से उनकी स्कूलिंग हुई. उनकी कॅालेज की पढ़ाई रायपुर छत्तीसगढ़ से कंपलीट हुई. मृत्युंजय ने बताया कि उनके पिता छतीसगढ़ रायपुर में किसी प्राइवेट कंपनी में जॅाब करते थे और मां हाउस वाइफ है. स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्हें भी पिता के साथ गांव छोड़कर छत्तीसगढ़ जाना पढ़ा. उन्होंने बताया कि जब मैं गांव से छत्तीसगढ़ आया तो मेरा मन नहीं लगता था, पापा जॅाब पर चले जाते थे मैं अकेला फ्लैट पर रहता था और पढ़ाई में भी मेरी कोई खास दिलचस्पी नहीं रहती थी. मैं शुरु से ही एक बैकबेंचर था.

साल 2014 में हुई हैकिंग जर्नी की शुरुआत 

मृत्युंजय ने बताया छत्तीसगढ़ से ही साल 2014 में मेरे हैकिंग जर्नी की शुरुआत हुई. मेरे घर वालों को लगता था कि मैं अपनी लाइफ में कुछ नहीं कर सकता, लेकिन मुझे और घरवालों को इतना जरुर पता था कि मैं एक दिन टेक्नोलॉजी का किंग बन कर रहूंगा, क्योंकि मुझे बचपन से टेक्नोलॉजी की दुनिया में काफी इंटरेस्ट रहा. मैं दिनभर, लैपटॅाप-मोबाइल गेम्स इस सब में लगा रहता था. 

पार्क में धूमने के दौरान लाइफ में आया टर्निंग प्वाइंट

उन्होंने आगे बताया कि एक दिन मेरी लाइफ में बहुत बड़ा बदलाव आया, जिससे शायद मैं भी अनजान था. मैं पार्क में घूमने निकला था. तभी एक आदमी मिला जिसने मुझसे पानी की बॅाटल मांगी और हमारी थोड़ी बातचीत हुई और मुझे नहीं पता था कि वो शख्स मेरे जिंदगी में एक अलग टर्निंग प्वाइंट लेकर आएगा.

हैकिंग के लिए छोड़ दी गवर्नमेंट जॅाब

मृत्युंजय ने आगे बताया कि पार्क में मिला वो आदमी, छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा हैकर था, जिससे मेरी उस दिन दोस्ती हुई और वो मेरा गुरु बन गया. उसके बाद उसने मुझे बहुत बड़ी-बड़ी हैकिंग सिखाई. मैंने, साइबर सक्योरिटी, कोडिंग और कम्पूटर प्रोगामिंग की पढ़ाई की. साल भर के अंदर-अंदर मैंने हैकिंग में बहुत कुछ सीख लिया. हैकिंग सीखने के बाद मैंने गवर्नमेंट जॉब भी छोड़ दी. मैंने टीसीएस, पीटीएम जैसी कई बड़ी संस्थाओं में काम कर चुका हूं, लेकिन एक दिन मुझे समझ में आ गया कि मैं नौकरी के लिए बना ही नहीं हूं. 

बनाई खुद की स्टार्टअप कंपनी

उन्होंने बताया कि पापा की रिटायरमेंट हो गई और मैं वापस अपने गांव आ गया, लेकिन छतीसगढ़ में बिताएं उस साल भर के दौरान मैंने बड़ी-बड़ी हैकिंग सीखी, गांव आने के बाद मैंने डिसाइड किया कि मुझे अपनी खुद की स्टार्टअप कंपनी खोलनी है और मैंने एक कंपनी बनाई वीजीएम सिक्योरिटी के नाम से, जो  सॉफ्टवेयर कंपनी, सरकार, स्टार्टअप को साइबर सिक्योरिटी सॉल्यूशन प्रोवाइड करती है. मेरी कंपनी को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अटल इन्यबेशन के माध्यम से सपोर्ट मिल गया. इसके बाद यूपी सरकार से फंड भी.

2018 में बनाई शैतान की सेना

फिर उसके बाद मैं 2 साल 3 साल तक काम करता रहा और कंपनी को आगे बढ़ता रहा. इसके बाद मेरे पास बहुत सारे साइबर फ्रॅाड, न्यूड वीडियो कॉल, सेक्सटॅार्शन, साइूबर बुलिंग के केसेस आने लगे. लोग हमें इंटरनेट से नंबर निकाल कर कॉल करते थे और बताते थे कि उनके साथ इस तरह से फ्रॅाड हुआ है, इसके बाद मैंने 2018 में एक ऑर्गेनाइजेशन बनाई जिसका नाम रखा शैतान की सेना.

महादेव के नाम से इंस्पायर्ड है ये ग्रुप

शैतान की सेना के बारे में बताते हुए मृत्युंजय ने कहा कि, यह पूरी तरह से एक हैकिंग ग्रुप है जिसका एक ही उद्देश्य है ऐसे लोगों की मदद करना है जो साइबर फ्रॉड, साइबर बुलिंग, साइबर क्राइम, न्यूड वीडियो कॉल, वॉइस क्लोन एआई के शिकार हुए है और अपने पैसे गवां चुके हैं. इन लोगों के पैसों की रिकवरी करना मेरे इस ग्रुप का विजन है. उन्होंने बताया कि इस ग्रुप को मैंने 2018 में बनाया था और इसका नाम महादेव से इंस्पायर्ड है जैसे महादेव की भूतों की सेना होती है वैसे ही हमारी शैतान की सेना है. हमारी ऑफिशल वेबसाइट भी है जिसका नाम shaitansena.com है.

शौतान की सेना में है 22000 से ज्यादा साइबर वॉरियर्स 

मृत्युंजय ने बताया मैं सबसे पहला व्यक्ति था जिसने इस ग्रुप को बनाया और आज मेरे पास कम से कम 22000 से ज्यादा साइबर वॉरियर्स है, जो मेरे ऑर्गेनाइजेशन शैतान की सेना से जुड़े हुए हैं और जो फ्री में साइबर फ्रॅाड के शिकार हुए लोगों की हेल्प हैं. लोग हमारी वेबसाइट को विजिट करते हैं और हमारे कांटेक्ट नंबर पर हमें सपंर्क करते हैं, जिसके बाद हम उनकी डिटेल लेते है और 24-48 घंटे के अंदर उनकी हेल्प कर पैसे उनके अकाउंट में रिकवर करा देते है. हमारी संस्था नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जिसका मकसद सिर्फ साइबर फ्रॉड से लोगों को बचाना है 

इसके बाद मैंने खुद की साइबर सक्योरिटी कंपनी बनाई जिसका नाम बीजीएम सक्योरिटी है, जिसे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के अटल इन्यबेशन के माध्यम से सपोर्ट मिल गया. जिसे यूपी सरकार से फंड भी मिल गया. मैंने 2020 में वूमेन सेफ्टी के लिए एक मोबाइल एप्प भी डिजाइन किया, जो महिलाओं को किसी भी इमरजेंसी केश में उनकी हेल्प करता है. इसके लिए भी मुझे यूपी सरकार से फंड मिला हुआ था.

5 सालों में कराएं करोड़ों रुपए रिकवर

उन्होंने कहा, मेरे आर्गेनाइजेशन की बात करें तो कम से कम मिलकर पिछले 5 सालों में 10 करोड़ से ज्यादा रुपए रिकवर करा चुके हैं और 50 करोड़ रुपये से ज्यादा के वैल्यू के एसेट रिकवर कराए है. हमारे इस हैकिंग ग्रुप से हर देश से साइबर वॉरियर जुड़ा हुआ है. ये सारे हैकर्स का एक ही उद्देश्य लोगों की हेल्प करना, जो लोग विक्टिम हैं हमारी वेबसाइट को विजिट करते हैं, हमें मेल करते हैं हम लोग केस असाइन करते हैं और ग्रुप से जुड़ा वॅारियर 48 से 72 घंटे में गारंटी के साथ उनके पैसे की रिकवरी करके देता है. हां कभी-कभी कोई पेचीदा केस होता है तो 15 से 20 दिन भी लग जाते है. 

लाइफ का चैलेंजिंग केस

उन्होंने बताया कि मैंने अपने लाइफ में कई केस सॅाल्व किए और अभी भी कर रहा हूं एक थोड़े चैलेंजिंग केस के बारे में बात करते हुए मृत्युंजय ने बताया कि, करीब सात महने पहले एक न्यूड वीडियो कॅाल का केस आया था, जिसमें एक लड़के ने फेक कॅाल करने वाले को 43000 हजार रुपए दे दिए थे और वो उसे लगातार ब्लैकमेल कर रहा था, इस केस को सुलझाने में 1 महीन लग गए, लेकिन कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिल ही गई और लड़के का 31000 रुपए हमने रिकवर कराया और बाकी पैसे की रिकवरी प्रोससे में हैं. 

मृत्युंजय ने कहा कि वो अबतक साइबर फ्रॅाड के हजारों मामले सॅाल्फ कर चुके है और सैकड़ों लोगों के पैसे उन्हें वापस रिकवर कराने में मदद कर चुके है और भी बिना किसी फीस के. उन्होंने कहा कि आज लोग बस थोड़ी सतर्कता और समझदारी बरते, तो वो साइबर फ्रॅाड से आसानी से बच सकते है.