तिरुपति लड्डू विवाद: SC ने आंध्र प्रदेश के सीएम को लगाई फटकार, कहा- भगवान से जुड़े मामलों को राजनीति....

तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार सुनवाई हुई, जिसमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा.

तिरुपति लड्डू विवाद: SC ने आंध्र प्रदेश के सीएम को लगाई फटकार, कहा- भगवान से जुड़े मामलों को राजनीति....

तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार सुनवाई हुई, जिसमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. कोर्ट ने सवाल उठाया कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर बयान देने में दो महीने की देरी क्यों की गई.

सीएम के बयान पर उठे सवाल

सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया, "मुख्यमंत्री के बयान से आम जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है. जब खुद मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दिया हो, तो राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना मुश्किल है.

सुब्रमण्यम स्वामी का TTD से जुड़ाव

वकील ने पूछा कि घी की आपूर्ति करने वाला सप्लायर कौन था और क्या अचानक जांच की कोई व्यवस्था की गई थी? उन्होंने कहा कि मामले की निगरानी अदालत द्वारा की जानी चाहिए. इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि स्वामी पहले से ही तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट से जुड़े रहे हैं, इसलिए उनकी याचिका को निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता.

राजनीतिक उद्देश्य का आरोप

मुकुल रोहतगी ने आगे कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी का उद्देश्य राज्य सरकार को निशाना बनाना है. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने टिप्पणी की कि स्वामी ने दावा किया है कि जिस घी का सैंपल लिया गया, वह TTD ट्रस्ट द्वारा उपयोग नहीं किया गया था. वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जब जांच चल रही है, तो ऐसे बयान क्यों दिए गए? मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें ऐसे बयानों से बचना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

जस्टिस विश्वनाथन ने सवाल किया कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर दो महीने बाद बयान क्यों दिया गया. अगर मुख्यमंत्री को सैंपल की जानकारी नहीं थी, तो उन्होंने बयान क्यों दिया? राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने जानकारी दी कि पिछले 50 वर्षों से कर्नाटक की 'नंदिनी' कोऑपरेटिव से घी लिया जा रहा था, लेकिन पिछली सरकार ने इसे बदल दिया था.

तथ्यहीन बयान देने पर आपत्ति

जस्टिस गवई ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि बिना पूरी तरह से तथ्यों की पुष्टि किए बयान देना क्यों आवश्यक था. इस पर वकील ने बताया कि जुलाई में घी की आपूर्ति की तारीखें और सैंपल जांच की जानकारी दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भगवान से जुड़े मामलों को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए.

असमय बयानबाजी पर कोर्ट की नाराजगी

सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने सवाल उठाया कि 26 सितंबर को SIT का गठन किया गया, लेकिन उससे पहले ही बयान क्यों दे दिया गया? जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि आप पिछली सरकार पर घी टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगा सकते थे, लेकिन सीधे प्रसाद पर सवाल उठाना उचित नहीं था.