लोकप्रिय कवि पंडित हरिराम द्विवेदी का 87 वर्ष की उम्र में निधन, जाने उनके साहित्य साधना की यात्रा...
प्रख्यात कवि पंडित हरिराम द्विवेदी का 87 वर्ष की अवस्था में मोतीझील (महमूरगंज) आवास पर निधन हो गया है. पंडित जी का जन्म 12 मार्च 1936 में और निधन 8 जनवरी 2024 को हुआ.
वाराणसी, भदैनी मिरर। बनारस और बनारसीपन को आजीवन जीने वाले साहित्य साधक पंडित हरिराम द्विवेदी 'हरि भईया' का सोमवार दोपहर 2:15 पर 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने आखिरी सांस अपने मोतीझील स्थित अपने आवास पर ली. 12 मार्च 1936 में हरिराम द्विवेदी का जन्म हुआ था. हरि भईया के निधन की सूचना मिलते ही उनके प्रशंसकों, कवियों और साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है.
मूल रूप से मिर्जापुर में रहे पंडित हरिराम द्विवेदी 'हरि भईया' ने अपना कर्मभूमि काशी को बनाया. वह मनसा, वाचा और कर्मणा से बनारसी रहे. उनका फक्कड़पन और उनकी जीवनशैली उनके गीतों में झलकती थी.
गंगा से था जुड़ाव
पंडित हरिराम द्विवेदी 'हरि भईया' का जुड़ाव संकटमोचन मंदिर और महंत श्री प्रो. वीरभद्र मिश्र से गहरा था. श्री संकटमोचन संगीत समारोह के इतिहास में 'हरि भईया' का भी योगदान रहा. कभी न टूटने वाली उद्घोषक की कड़ी में 'हरि भईया' का नाम है. श्री संकटमोचन फाउंडेशन का थीम सॉन्ग "मर्यादा इस देश की पहचान है गंगा, पूजा है धर्म दिन है ईमान है गंगा" के रचयिता भी ' हरि भईया' रहे. इसके आलावा उनकी एक अन्य रचना से गंगा के प्रति उनका प्रेम दिखता है.
" दरसन से तोहरे जुडाय जाय जियरा
परसै से पल में अघाय जाय हियरा
जिनिगी कै धार तूही मुकुति देवईया
धनि धनि महिमा तोरी गंगा मइया।।"
देशभक्ति का अद्भुत राग
हरि भईया की संवेदनशीलता भरी देशभक्ति कालजयी है. वर्ष 1962 में चीन युद्ध के दौरान भोजपुरी माटी के अनेक लाल शहीद हुए थे. तब 'हरि भैया' ने शहीद विधवा, मां और बहन की वेदनाओं को महसूस करते हुए अपनी रचना आकाशवाणी पर सुनाई थी. गीत में भरी करुणा के कारण देश के अनेक रेलवे स्टेशन पर वह बजाए गए. उसके बोल है -
"बहिनी हो बिरनवा देइद, मईया हो ललनवा देई द
देसवा क करनवा अपने, सोनवां के गहनवा देई द
बहुआ हो चिंहनिया देई द, जीनगी के कहानियां देई द
पनिया बचावे खातिर, अपने परनिया देई द
सुघर सपनवां बदे, मंगिया के निसनवा देई द
मोहिया के रसरिया देई द, अंखियां के पुतरिया देई द"
उपलब्धियां
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का साहित्य सारस्वत सम्मान
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण' पुरस्कार
- ऑल इंडिया कांफ्रेंस ऑफ इण्टिलेक्कुवल्स द्वारा 'यू.पी. रत्न' सम्मान
- विश्व भोजपुरी संघ द्वारा 'पुरबिया गौरव' सम्मान
- भोजपुरी भाषा एवं साहित्य में योगदान के लिए साहित्य अकादेमी का 'भाषा सम्मान 2013'
- संकट मोचन फाउण्डेशन द्वारा 'प्रो. वीरभद्र मिश्र अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार-2016'
- मदर हलीमा फाउण्डेशन वाराणसी द्वारा मदर हलीमा एवार्ड 'निगारे बनारस'
इसके अतिरिक्त दर्जनों विशिष्ट मंचों से सम्मानित व अभिनंदित।