योग निद्रा से उठे भगवान विष्णु: देवउठनी पर काशी के घाटों पर श्रद्धालु कर रहे गंगा स्नान, कथा श्रवण कर हो रहा दान-पुण्य...

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवउठनी का पर्व मनाया जा रहा है. धर्म नगरी काशी में घाटों पर गंगा स्नान कर दान पुण्य करने वालों का तांता लगा हुआ है.

योग निद्रा से उठे भगवान विष्णु: देवउठनी पर काशी के घाटों पर श्रद्धालु कर रहे गंगा स्नान, कथा श्रवण कर हो रहा दान-पुण्य...

वाराणसी, भदैनी मिरर। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवउठनी का पर्व मनाया जा रहा है. धर्म नगरी काशी में घाटों पर गंगा स्नान कर दान पुण्य करने वालों का तांता लगा हुआ है. आज ही के दिन चातुर्मास खत्म होता है और भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते है. आज के बाद शुभ कार्य शुरु हो जायेंगे. आज ही के दिन को तुलसी विवाह भी कहते है. 


काशी के घाटों पर स्नान के साथ ही विधि-विधान से पूजन अर्चन भी किए जा रहे है. अस्सी घाट, सामनेघाट, रामनगर बलुआ घाट, दशाश्वमेध व शीतला घाट के अलावा राजघाट तक श्रद्धालु गंगा स्नान कर है. गंगा में स्नान के बाद कथा श्रवण कर श्रद्धालु ब्राह्मणों व भिक्षुकों को दान भी दे रहे हैं.

तुलसी का है खास महत्त्व

बता दें, एकादशी के दिन तुलसी का काफी खास महत्व होता है. माना जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है और तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है. इस दिन भगवान शालीग्राम  और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है. इस साल पंचांग में भेद होने के कारण देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 4 और 5 नवंबर दोनों दिन मनाई जा रही है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है. जिस घर में भी तुलसी का पौधा लगा होता है उस घर पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.