कावड़ यात्रा: सुप्रीम फैसले पर बोले स्वामी जितेन्द्रानंद, शाहीन बाग और जम्मू-कश्मीर पर चुप्पी क्यों?
वाराणसी, भदैनी मिरर। यूपी सरकार द्वारा कावड़ यात्रा की छूट दिए जाने के बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फैसले पर पुनर्विचार कर सोमवार तक निर्णय लेने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा है कि आखिर सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय हिंदुओं के तिथि, पर्वों और त्यौहारों पर ही वह स्वतः संज्ञान क्यों लेते है?
कटते-पीटते हिन्दू नहीं दिखे
पंजाब से लेकर बंगाल राजस्थान तक के कटते-पीटते हिन्दू, जम्मू कश्मीर से भगाए जाने वाले हिंदुओ पर कभी आपने संज्ञान नहीं लिया। दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर दिल्ली की सीमा पर आंदोलन करने वाले किसानों पर स्वतः संज्ञान तो छोड़िए निर्णय देने में भी आप आनाकानी करते नजर आए। बार-बार हिन्दू समाज के विषयों पर स्वतः निर्णय लेने से क्या हम यह न समझें कि भारत की न्यायालय स्वभावतः हिन्दू विरोधी है। इनके निर्णय हिंदुओं के विरोध में शरणापुर से लेकर केरल के पद्मनाभ मंदिर और अय्यप्पा स्वामी तक के संदर्भ में कहीं ना कहीं दुर्भावना से प्रेरित रहे हैं।
बन रही धारणाओं को तोड़िए
इससे हमे यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि आप जो भी निर्णय लेते हैं उससे हिन्दू समाज के मन में यही धारणा बन रही है कि भारत की न्यायिक व्यवस्था वस्तुतः हिन्दू विरोधी है। मैं माननीय उच्चतम और उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों से यह अनुरोध करता हूँ कि इस पर विचार करें और हमारी इस अवधारणा को तोड़ने के लिए भी कुछ कदम उठाएं।