एक पाती छोड़ खुद को मार ली गोली, पाती में लिखा था सीएम साहब मै जा रहा हूँ, मेरे बच्चों का ध्यान रखिएगा...
अक्सर लोग खुदकुशी कर लेते है, लेकिन एक वर्दी में पुलिसकर्मी महज बीमारी के कारण खुद को सरकारी पिस्टल से गोली मार ले तो घटना खौफनाक है। वर्दी के पीछे का दर्द भी जानना चाहिए, सच है कि पुलिसकर्मी अक्सर ही तनवाग्रस्त हो जाते है। एक बात यह भी स्पष्ट है कि पुलिस ट्रेनिंग उन्हें फौलाद बना देती है। भदैनी मिरर आपसे यह निवेदन करता है कि किसी के व्यवहार में बदलाव देखें तो उनका विशेष ख्याल रखें, शायद हमारे प्रयास किसी को इस हद तक जाने से बचा सके...!
वाराणसी, भदैनी मिरर। गुरुवार को प्रदेश में कई अपराध हुए लेकिन विधानसभा की सुरक्षा में गेट नम्बर सात पर तैनात दरोगा निर्मल चौबे (53) की सरकारी पिस्तौल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या की खबर बर्बस ही ध्यान केंद्रित कर लेता है। दूसरों के जीवन की सुरक्षा का जिम्मा उठाये दरोगा अपनी जिंदगी से इतना हार गया कि उसे आत्महत्या करना पड़े तो उसकी मनोदशा को दर्शाता है। मनोविज्ञान यह कहता है कि आक्रोश में आत्मघाती कदम उठाए जा सकते है लेकिन अचानक किसी का आत्महत्या करना यह साफ बताता है कि वह यह कदम उठाने से पहले उसने अपने जीवन की इच्छाओं को मारा होगा, संबंधों से मोहभंग किया होगा, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा होगा और फिर अंत में तनाव की अंतिम चरण में आकर उसने यह कदम उठाया होगा। अब कुछ भी हो निर्मल चौबे ने आत्महत्या कर कई सवाल छोड़ गए।
अब पहले की तरह हालात तो नहीं है, फिर भी बढ़ती जनसंख्या और अपराध पर नियंत्रण के लिए पुलिस की कमी अभी भी है। मगर जरुरत है कि समय-समय पर पुलिसकर्मियों को तनावमुक्त रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाए। पुलिस आचरण नियमावली के तहत वर्दी में पुलिसकर्मी खुलकर जिंदगी नहीं जी पाता। पुलिस विभाग में जितना बड़ा पद उतनी ही जिम्मेदारी, जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने और छवि बनाएं रखना भी बड़ा काम है। इसके अलावा भी उन पर तमाम अन्य प्रकार के दबाव का बोझ होता है।
बताते चले कि निर्मल चौबे बंथरा थाने पर तैनात थे और गुरुवार को सचिवालय के पास ड्यूटी लगी थी। जहा उन्हें खुद को गोली मारी। दारोगा को गोली लगने की सूचना से अफरातफरी मच गई। उन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनकी मौत हो गई। दारोगा निर्मल चौबे मूलरूप से वाराणसी के पलहीपट्टी के रहने वाले थे। वे लखनऊ के चिनहट में रहते थे। सुसाइट नोट में निर्मल ने खुद को बीमारी के कारण मानसिक रूप से परेशान बताया है। सुसाइट नोट से यह साफ है कि उन्हें अपने बच्चों की फिक्र थी, इसलिए उन्होंने सूबे के मुखिया से बच्चों के ध्यान रखने की बात कही है।
भदैनी मिरर आपने पाठकों से निवेदन करता है कि जब भी किसी के व्यवहार में बदलाव देखें तो उनका ध्यान दें। आत्महत्या तनाव का चरम होता है, यदि समय रहते अपने सगे-संबंधियों का ख्याल रखे, सकारात्मकता रखें और उन्हें खुश रखें तो हम ऐसे कदम उठाने वालों को कुछ हद तक रोक सकते है।