हिंदुओं को भी मिले अल्पसंख्यक का दर्जा, अखिल भारतीय संत समिति ने की यह मांग...
Hindus should also get minority status Akhil Bharatiya Sant Samiti made this demandहिंदुओं को भी मिले अल्पसंख्यक का दर्जा, अखिल भारतीय संत समिति ने की यह मांग...
वाराणसी,भदैनी मिरर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा दाखिल किए गए शपथ पत्र में राज्यों के ही आधार पर ही अल्पसंख्यक और बहु संख्यकों का चुनाव किए जाने की घोषणा पर अखिल भारतीय संत समिति ने आभार व्यक्त किए है। समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रनंद सरस्वती मांग करते हुए कहा की भारत के उन 10 राज्यों में जहां-जहां भी हिंदुओं की जनसंख्या कम हैं उन्हें अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा जाए। यह अखिल भारतीय संत समिति की चिर प्रतीक्षित मांग है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को प्राप्त होने वाले सारे अधिकार हमें भी मिलने चाहिए। इसमें जम्मू एवं कश्मीर, मिजोरम, मणिपुर और अरूणाचल प्रदेश समेत कई राज्य हैं। कहा कि हम सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम का स्वागत और आभार प्रकट करते हैं।
सरकार से की थी यह मांग
जीतेंद्रनंद सरस्वती ने बताया कि उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी से 10 बिंदुओं में सवाल उठाते हुए मांग की थी कि सरकार जल्दी से इस व्यवस्था को लागू करे। उन्होंने कहा था कि साल 2002 में 11 सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा पारित आदेश के तहत यह परिभाषित किया जाए कि कौन अल्पसंख्यक है। जिस तरह का भारत के अंदर वातावरण बना हुआ है उससे सनातनी बहु संख्यकों के मन में बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने मांग की थी कि संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक मुसलमानों काे अल्पसख्यंक के दायरे से बाहर कर देना चाहिए। मुसलमान भारत में दूसरी बहुसंख्यक धार्मिक समूह है। दुनिया के दो इस्लामिक देशों इंडोनेशिया और पाकिस्तान से भी ज्यादा मुसलमान भारत में रहते हैं।
संत समिति ने कहा था कि उनके यहां हिंदुओं के 127 संप्रदाय का संगठन है। सभी के मन में अल्पसंख्यक शब्द को लेकर यह 10 संशय बने हुए हैं...
- भारत का 20-22 करोड़ मुसलमान संवैधानिक तौर पर अल्पसंख्यक है और 5 हजार यहूदी अल्पसंख्यक नहीं है। यह तो संवैधानिक व्यवस्था का ही मजाक है।
- सुप्रीम कोर्ट के 2002 के आदेशानुसार अल्पसंख्यकों का निर्धारण राज्य स्तर पर हो।
- अफसोस अभी तक 1993 के शासनादेश को रद्द क्यों नहीं किया गया।
- भारत के 8-10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। वह भी अपने आपको ठगा सा महसूस करता है।
- बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में कहीं भी अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल नहीं है। संविधान के प्रस्तावना में एक-एक जन का राष्ट्र सिद्धांत अल्पसंख्यक वाद का हनन करता है।
- दिसंबर 1992 को कांग्रेस सरकार ने पहली बार अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया। यह संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है।
- शुरूआत दिनों में इसमें पांच संप्रदायों को शामिल किया गया था, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, पारसी, सिख और बाद में जैनियों को जाेड़ा गया।
- उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से भारत में अल्पसंख्यक काैन है यह स्पष्ट करने के लिए सरकार को 90 दिन का समय दिया था। उस पर अभी तक फैसला नहीं हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक, तीन से पांच प्रतिशत आबादी अगल मूल समाज से अलग है और भिन्न पूजा पद्धति का अनुसरण करती है तो उसे अल्पसंख्यक माना जाए।
- UN के अनुसार, सत्ता संपन्न राष्ट्रीय समाज से भिन्न समुदाय अल्पसंख्यक कहे जाए। कोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह शपथ पत्र दाखिल करते हुए बताया है कि राज्यों के ही आधार पर ही अल्पसंख्यक और बहु संख्यकों का चुनाव हाेगा।