18 नवंबर को मनाया जाएगा अगहनी जुमा, जाने करीब 450 वर्ष पूर्व क्यों हुई थी शुरुआत...
अगहनी जुमा वाराणसी के इतिहास में 450 वर्षों से रवायत की तरह है. इस वर्ष यह 18 नवंबर को मनाई जाएगी.
वाराणसी, भदैनी मिरर। मंदी की मार से उबरने और कारोबार की बढ़ोत्तरी के लिए केवल काशी में करीब 450 साल पहले शुरु हुए खास नमाज जिसे अगहनी जुमे के नाम से जानते है वह इस वर्ष 18 नवंबर को मनाई जाएगी. यह निर्णय सरदार बाईसी इकरामुद्दीन साहब के निवास रसूलपुर बड़ी बाजार पर हुई बैठक में ली गई है.
सरदार मौसूफ ने बताया है कि एतिहासिक अगहनी जुमा की जब शुरुआत हुई थी तो उस वक्त देश में सुखा पड़ा था, किसानों का फसल न होने से आर्थिक मंदी आ गई और लोग बुनकरी का समान खरीदना बंद कर दिए. जिसके बाद अगहन माह के दूसरे हफ्ते में अगहन जुमे की नमाज अदा की जाती है, जो अब रवायत बन चुकी है. यह नमाज सरदार बाईसी इकरामुद्दीन साहब के सदारत में चौकाघाट मछली मंडी के पास स्थित ईदगाह में हर साल पढ़ाई जाती है.
बैठक में जैनुल होदा अंसारी, अब्दुल्लाह अंसारी, हाजी आफताब आलम, हाजी जलीस अहमद, हाजी वकार, यासीन फरीदी, जहीर अहमद, हाजी हसीन अहमद, अनवारुलहक अंसारी, सरदार अमीनुन, हाजी नियाज अहमद, हाजी रियाजुन खाँ, हाजी मु० हसन, अबूबकर हाजी अब्दुल कलाम फन्नी वाले, हाजी इम्तेयाज आलम, सुलेमान अख्तर अंसारी इत्यादि लोग मौजूद रहे.