दस साल बाद वाराणसी के नर्सिंग होम की लापरवाही पर लाखों का जुर्माना, आयोग ने संचालक को दिए यह पांच आदेश...

गांधी नगर सिगरा में स्थित नर्सिंग होम में प्रसव में लापरवाही से हुई महिला की मौत पर दस साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. नर्सिंग होम को यह रकम 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पीड़िता के परिजनों को देना होगा.

दस साल बाद वाराणसी के नर्सिंग होम की लापरवाही पर लाखों का जुर्माना, आयोग ने संचालक को दिए यह पांच आदेश...

वाराणसी, भदैनी मिरर। गांधी नगर सिगरा में स्थित नर्सिंग होम में प्रसव में लापरवाही से हुई महिला की मौत पर दस साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. नर्सिंग होम को यह रकम 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पीड़िता के परिजनों को देना होगा. इस पैसे को बैंक में 10 साल के लिए जमा किया जाएगा और मृतिका के पुत्र के वयस्क होने पर उसके शिक्षा और रख-रखाव पर खर्च किया जाएगा. पोस्टमार्टम में डाॅक्टर और नर्सिंग होम द्वारा बरती गई संवेदनहीनता का खुलासा हुआ है.

जानकारी के अनुसार वाराणसी के परिवादी विजय बहादुर सिंह की बेटी प्रिया सिंह का विवाह पंकज सिंह के साथ हुआ था. गर्भवती होने पर जून 2012 में प्रिया अपने पिता के पास रहने चली आयी. प्रिया ने वाराणसी में डॉ सरोज पांडेय को उनके नर्सिंग होम गांधी नगर सिगरा में दिखाया. उन्होंने कई परीक्षण कराए.

30 जनवरी 2013 को प्रसव पीड़ा होने पर डॉ. सरोज ने अपनी नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया. ऑपरेशन सेे एक पुत्र को जन्म दिया और फिर उसे प्राइवेट रूम में रखा. रात में हालत गम्भीर हो गई. उचित उपचार न होने पर अगले दिन प्रिया की मृत्यु हो गई. उसी दिन उसका पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें यह पाया गया पेट में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और खून के थक्के बनने के कारण मृत्यु हुई. प्रिया की आयु मात्र 25 वर्ष थी.

दस साल पहले हुई इस घटना की सुनवाई राज्य उपभोक्ता आयोग में हो रही थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के सदस्य राजेन्द्र सिंह और विकास सक्सेना ने डाॅक्टर व नर्सिंग होम पर हर्जाना लगाया.  इस मामले में यह भी पाया गया कि ऑपरेशन के बाद देखभाल निम्न स्तर का था. तत्काल अस्पताल और डॉक्टर यह जान ही नहीं सके कि मरीज को क्या शिकायत थी और एक ही दिन के अन्दर उसकी मृत्यु हो गयी. आज उसके पुत्र की उम्र दस वर्ष है.

आयोग ने डॉक्टर सरोज को दिए पांच आदेश

- परिवादी को चिकित्सीय व्यय के रूप में 50,000 रुपये दिए जाएं।

- चिकित्सीय उपेक्षा के लिए 30 लाख दिया जाए। इसकी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी।

- मानसिक यंत्रणा और अवसाद के मद में 10 लाख दिया जाए।

  • परिवादी को 30 लाख दिया जाए। इसकी भी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी।
  • सेवा में कमी के संबंध में 30 लाख दिया जाए। (इन सभी देयों पर 2013 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज देना होगा।)