महादेव की नगरी में त्रिनेत्र रुप में विराजमान है प्रथमेश, अद्भुत है यह 40 खंभों वाला गणेश मंदिर

इन दिनों पूरे देश में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की धूम है, इस उत्सव पर हम आपको काशी में स्थित एक ऐसे ही गणेश मंदिर (Lord Ganesha Temple) के बारे में बताएंगे जो काफी लोकप्रिय और अद्भुत हैं.

महादेव की नगरी में त्रिनेत्र रुप में विराजमान है प्रथमेश, अद्भुत है यह 40 खंभों वाला गणेश मंदिर

Ganesh Chaturthi 2024 : इन दिनों पूरे देश में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की धूम है, गणपति बाबा के दर्शन को देशभर के गणेश मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. इस उत्सव पर हम आपको काशी में स्थित एक ऐसे ही गणेश मंदिर (Lord Ganesha Temple) के बारे में बताएंगे जो काफी लोकप्रिय और अद्भुत हैं, जिसे 40 खंभों वाला गणेश मंदिर कहा जाता है. इस मंदिर में गणेश भगवान की प्रतिमा त्रिनेत्र स्वरूप में विराजमान है. आइये जानते है वाराणसी में यह मंदिर कहां है और गणेशजी की इस प्रतिमा के पीछे का क्या रहस्य है?

यहां स्थित है 40 खंभों वाला गणेश मंदिर

दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वह वाराणसी के लोहटिया क्षेत्र में स्थित है, जिसे 'बड़े गणेश जी' के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि यह प्रतिमा स्वयंभू है और प्राचीन काल में जब वाराणसी में गंगा और मंदाकिनी नदियाँ बहती थीं, उसी समय भगवान गणेश की त्रिनेत्र प्रतिमा नदी से प्रकट हुई थी. इस प्रतिमा के प्रकट होने का दिन माघ मास की संकष्टी चतुर्थी थी और तब से इस दिन यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.

क्यों कहा जाता है इसे 40 खंभों वाला गणेश मंदिर?

त्रिनेत्र स्वरूप के अलावा, इस मंदिर की एक और विशेषता इसके 40 खंभे हैं. इन खंभों की विशेष शैली श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित करती है. हालांकि, इस मंदिर के निर्माण के इतिहास के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. मान्यता है कि चतुर्थी के दिन गणेश जी की इस त्रिनेत्र प्रतिमा की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याएं और रुकावटें दूर हो जाती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

गणेशजी के इस मंदिर की अद्वितीय महिमा

काशी के लोहटिया में स्थित इस मंदिर में गणेश जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. यहां गणेश जी के साथ उनकी पत्नियाँ ऋद्धि और सिद्धि भी विराजमान हैं. कहा जाता है कि त्रिनेत्र गणेश की पूजा से व्यक्ति को शुभ-लाभ और ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है. खास बात यह है कि इस मंदिर में गणेश जी की पूजा कपाट बंद होने के बाद की जाती है और इसे देखने की अनुमति किसी को नहीं दी जाती.

इस मंदिर में मन्नत मांगने और अपने कष्टों को दूर करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. विशेष रूप से चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है.