नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व, खरना कल...

सूर्योपासना का महापर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है. लोगों ने घरों की सफाई और स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लिया. दोपहर में खाने में लौकी की सब्जी और चावल संग घी लगी रोटी खाई. उसके बाद व्रत रहेंगी और शनिवार को खरना होगा. दिन भर व्रत रहने के बाद व्रती महिलाएं गुड़-दूध का बखीर बनायेंगी. बखीर खाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा.

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व, खरना कल...

वाराणसी, भदैनी मिरर। सूर्योपासना का महापर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है. लोगों ने घरों की सफाई और स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लिया. दोपहर में खाने में लौकी की सब्जी और चावल संग घी लगी रोटी खाई. उसके बाद व्रत रहेंगी और शनिवार को खरना होगा. दिन भर व्रत रहने के बाद व्रती महिलाएं गुड़-दूध का बखीर बनायेंगी. बखीर खाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा. इसके बाद डाला षष्ठी का निराजल व्रत आरंभ हो जाएगा. खरना में 60 दिन में तैयार साठी धान के लाल चावलों से बना गुड़ का रसियाव और रोटी खाते हैं. पर्व की धूम चारों देखते बन रही है. घर से बाजार तक सब चहल-पहल है.

व्रतियां पहला अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को रविवार को देंगी. घाटों पर महिलाओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी साफ़-सफाई मुकम्मल कराने के लिये पूरे दिन पसीना बहाया. घरों से गलियों तक छठ माता की स्तुति और गीत गूंजने लगे हैं. लोक मानस में नइहर से ससुराल तक के मंगल की कामना वाला सूर्योपासना के डाला षष्ठी व्रत के लिए व्रतियों ने नहाय-खाय की रस्म पूरी की.

गिरिजा देवी 30 साल से कर रही व्रत

दशाश्वमेध के पतालेश्वर निवासी गिरिजा देवी ने बताया कि इस बार वह अपने जीवन का 30 वां व्रत कर रही हैं. वह पखवारे भर से जमीन पर सो रही हैं. वह खरना तब करेंगी, जब किसी जीव-जंतु की भी आवाज कान में न जाने पाए. इस व्रत को रखने वाली महिला किसी को न कड़वे शब्द बोलेंगी और न झूठ. गुरुवार की दोपहर बाद से ही बाजे-गाजे के साथ व्रतियों के समूह नदी किनारे पहुंचने लगेगा. इसी के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा.

बाजारों की दिखी भीड़

पूरे दिन छठ पूजा के सामानों की खरीददारी होती रही. व्रत  लोगों ने टोकरी, लोटा, फल, मिठाई, नरियल, गन्ना, सब्जी के साथ ही दूध-जल के लिए ग्लास, शकरकंदी और सुथनी, पान, सुपारी और हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप नए वस्त्र की खूब खरीददारी की.