बिहार में सर्व समाज के विकास का मिशन लेकर चल रहे नीतीश
बिहार में नौकरी दे देना सवाल नहीं है बल्कि उन्हें नियमित वेतन देना बड़ी चुनौती है. राजस्व बढ़ाने के साथ ही बिहार सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन कर राज्य को तेज विकास करने वाला प्रदेश बनाया है.
मुख्यमंत्री ने एनडीए का दामन थामने के लिए बिहार का हित देखा और अपना राज्य विकसित प्रदेश बने ये भी हम सभी चाहते हैं. जरूरत इस बात की है कि विकास हर क्षेत्र में, हर व्यक्ति तक और हर शहर-गांव तक हो तभी बिहार महाराष्ट्र बन सकेगा. बिहार में नौकरी दे देना सवाल नहीं है बल्कि उन्हें नियमित वेतन देना बड़ी चुनौती है.
राजस्व बढ़ाने के साथ ही बिहार सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन कर राज्य को तेज विकास करने वाला प्रदेश बनाया है लेकिन उद्योगों का जाल बिछाना जरूरी होगा. लोककल्याणकारी राज्य या देश की परिभाषा मैक्सिमम सैटिसफैक्शन और मिनिमम सेक्रीफाइस की राह से गुजरता है लेकिन मध्यम वर्ग को चूसकर वंचितों का पेट भरना आर्थिक विषमताएं पैदा करता है. कोई भी सरकार हर जाति धर्म से उठकर देश और राज्यों के विकास के लिए ईमानदार प्रयास करे ये जरूरी है ना कि वोट की खातिर किसी जाति विशेष को खुश करके राजकाज चलाया जाए.
आज नहीं तो कल फ्री सिस्टम बंद करना ही होगा क्योंकि आर्थिक तौर पर खोखले होते देश को इससे कोई राहत नहीं मिल सकती. हां मुफ्त अनाज का कदम सराहनीय है क्योंकि हर साल बर्बाद होते अनाज का इससे बेहतर कोई इस्तेमाल नहीं हो सकता था. मुख्यमंत्री फ्री बिजली देने से इनकार करते रहे हैं ये भी प्रशंसनीय है लेकिन ये देखना भी जरूरी है कि बिहार में मुफ्त बिजली जिन्हें मिल रही है क्या उसकी समीक्षा नहीं होनी चाहिए.
राज्य को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए सस्टेनेबल ग्रोथ और डेवलपमेंट फॉर ऑल जैसी परिकल्पना को साकार करना होगा. जिस रफ्तार से बिहार में नौकरियां दी गईं और आने वाले एक दो वर्षों में और पांच लाख नौकरियां दी गईं तो राज्य की प्रति व्यक्ति आय तो बढ़ेगी ही और राज्य की जीडीपी भी तेजी से बढ़ेगी. साथ ही कृषि क्षेत्र में तेज विकास से इसको और गति मिलेगी. अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है और वह पूरी दुनिया को कृषि पदार्थों का निर्यात करता है. दुनिया में सबसे अधिक जीडीपी वाला देश अमेरिका ही है. बिहार के विकास का विज़न बहुत हद तक धरातल पर साकार हो रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश ने जो भी नीतियां बनाई या लागू किया सब में सर्वसमाज के विकास का मिशन शामिल रहा है. आधी आबादी को सशक्त बनाया तो वो ज़मीन पर नज़र भी आया और छात्रों, युवाओं, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए उन्होंने चुन चुनकर नीतियां तैयार कीं जिसका प्रतिफल नज़र भी आ रहा है. राजनीति में आने के लिए पढ़ना लिखना जरूरी होता है. केवल रोज़गार दे देना मकसद होता तो बिहार की आधी जनसंख्या रोज़गार कर रही होती लेकिन रोज़गार के लिए जो पैसे चाहिए, जो आंतरिक संसाधन चाहिए वो लाने के लिए राज्य में कम से कम दस लाख करोड़ रुपए के निवेश और राज्य की जीडीपी को वर्तमान जीडीपी की तुलना में कम से कम दस गुना बढ़ाना होगा.
आज कोई नौकरी देने का वायदा कर रहा है तो उसे ये समझना चाहिए कि नौकरी दे देना इतना आसान नहीं है बल्कि उसके लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन देने के लिए निकालना होगा. अगर ये सबकुछ इतना ही आसान होता तो सभी राज्यों में बेरोजगार बैठे नहीं रहते. प्रोग्रेसिव पॉलिटिक्स के जरिए आप कोई भी नरेटिव सेट कर सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने जो काम बिहार के लिए किया और जो निर्णय बिहार के हित में किया वो इतना आसान नहीं रहा होगा. बिहार बार-बार कहेगा कि नीतीश हैं तो निश्चिंत हैं...।
आनंद कौशल, वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया स्ट्रैटजिस्ट