NEET Paper Leak : करेक्शन विंडो पर NTA से तीखे सवाल, क्यों खोला गया नए रजिस्ट्रेशन के लिए विंडो, जानें SC में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
विवादों में घिरे मेडिकल एग्जाम नीट-यूजी 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई है. शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ नीट से जुड़ी 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की गई.
NEET Paper Leak Hearing : विवादों में घिरे मेडिकल एग्जाम नीट-यूजी 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई है. शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ नीट से जुड़ी 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की गई. इसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की याचिका भी शामिल है, जिसमें उसने विभिन्न हाईकोर्ट में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है.
मामले की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर 1 लाख 8 हजार छात्रों को दाखिला मिलता है तो बाकि 22 लाख छात्रों को दाखिला नहीं मिलता. ऐसे में इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए? कोर्ट का ये भी कहना है दोबारा परीक्षा के लिए ठोस आधार जरूरी है कि बड़े स्तर पर परीक्षा में गड़बड़ी हुई.आइये जानते हैं कि इस सुनवाई के दौरान क्या कुछ दी गईं हैं दलीलें....
छात्रों के पास सेंटर चुनने का विकल्प नहीं- एनटीए
सुनवाई के दौरान जब पेपर लीक को लेकर बात होने लगी तो चीफ जस्टिस ने NTA के वकील से पूछा कि जब उम्मीदवार एप्लिकेशन फॉर्म भरते हैं, तो उन्हें शहर या केंद्र का विकल्प चुनना होता है? इसके जवाब में एनटीए के वकील ने हां कहा. वकील ने बताया कि छात्रों के पास शहर चुनने का ऑप्शन होता है, वे सेंटर का चुनाव नहीं कर सकते हैं.
करेक्शन विंडो पर NTA से पूछे गए तीखे सवाल
NEET पेपर लीक मामले पर CJI ने एनटीए के वकील से राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बारे में पूछा, जिसके आधार पर एनटीए ने करेक्शन विंडो खोलने का हवाला दिया था. सीजेआई ने कहा कि सिर्फ एक छात्र के लिए करेक्शन विंडो खोलने को कहा गया था. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें कई सारे आवेदन मिले तो फिर हमने छात्रों की भलाई के लिए ये कदम उठा. सीजेआई ने कहा कि आदेश केवल एक छात्र के लिए था जिसने फीस नहीं भरी और एनटीए क्या करता है? हर किसी को आवेदन करने की अनुमति देता है.
सरकार ने बताया क्यों खोला गया नए रजिस्ट्रेशन के लिए विंडो?
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि हमें लगभग 15,000 नए रजिस्ट्रेशन मिले. इन नए 15,094 छात्रों में से सिर्फ 44 छात्र ऐसे हैं, जो उन एक लाख आठ हजार छात्रों में शामिल हैं, जिन्हें प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा. एनटीए के वकील ने कहा कि नए रजिस्ट्रेशन करने वाले 12 हजार के करीब छात्र फेल हो गए हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसका मकसद किसी विशेष व्यक्ति की मदद करना नहीं था. ऐसा छात्रों की भलाई के लिए किया गया था. नए रजिस्ट्रेशन में से सिर्फ 44 को ही एडमिशन मिल सकता है.
पेपर लीक को लेकर याचिकाकर्ता के वकील ने रखा ये तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से जानकारी मांगी कि पिछले 3 सालों में कितने छात्र एग्जाम में हाजिर हुए हैं. कोर्ट को मिली जानकारी के अनुसार, साल 2022 से 2024 के दौरान 6 लाख छात्र एग्जाम में ज्यादा बैठे. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार सिलेबस बढ़ गया है, जबकि एनटीए कह रहा है कि सिलेबस कम हुआ और आसान हुआ है. सीजेआई ने जब वकील को अपनी बात साबित करने के लिए कहा तो उन्होंने बताया कि 550-720 नंबर रेंज में उम्मीदवारों की संख्या में पिछले वर्षों की तुलना में पांच गुना इजाफा हुआ है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या ये पेपर लीक की ओर इशारा करता है. वकील ने कहा कि हां ये खतरे को दिखाता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को दिखाया नीट का बढ़ा हुआ सिलेबस
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपके पास कोई ठोस सबूत है. इस पर वकील ने कहा कि सिलेबस में हुए इजाफे को लेकर उन टॉपिक्स को दिखाया, जिन्हें अब जोड़ा गया है. वकील ने बताया कि टॉपिक्स को सिलेबस में एड करने का नोटिफिकेशन पांच महीने पहले ही हुआ है. हैरानी वाली बात ये है कि एनटीए ने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया.
क्वेश्चन पेपर की डिलीवरी पर भी उठा सवाल
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अब आते हैं हिरासत की कड़ी पर. उनका मामला यह है कि क्वेश्चन पेपर 24 अप्रैल को एक निजी कूरियर कंपनी के माध्यम से केंद्रों पर भेजे गए थे. यह 3 मई को एसबीआई और केनरा बैंक के 571 शहरों में मौजूद ब्राचों में पहुंचे. सीजेआई ने कहा कि उन्हें 24 अप्रैल को भेजा गया और 3 मई को प्राप्त किया गया, इसलिए समय अंतराल लगभग 9 दिन है.
सॉलिसिटर जनरल ने तुरंत कहा कि प्रिंटर से लेकर सेंटर तक पूरी चेन की जांच सीबीआई ने की है, सीलिंग कैसे हुई, जीपीएस ट्रैकिंग कैसे हुई...डिजिटल लॉकर हैं. वो डिटेल मैंने दे दी है. इसमें 7-लेयर सेफ्टी सिस्टम है.
पेपर लीक के पीछे पैसे कमाना था मकसद?
सीजेआई ने कहा अगर किसी ने पेपर लीक किया भी तो उसका मकसद सिर्फ नीट परीक्षाओं को बदनाम करने का नहीं बल्कि पैसे कमाना था जो स्पष्ट है. बड़े पैमाने पर पेपर लीक के लिए उस स्तर पर संपर्कों की भी आवश्यकता होती है, ताकि आप विभिन्न शहरों आदि में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें.
4 मई को पेपर शेयर किए गए- याचिकाकर्ता के वकील
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि टेलीग्राम वीडियो से पता चलता है कि 4 मई को पेपर शेयर हो रहे थे. यह मूल प्रश्न पत्र था. समय सुबह 9 बजे है. एनटीए चाहता है कि यह अदालत अविश्वास करे. वे जो तारीख और समय दिखाते हैं वह ऐसी तारीख और समय नहीं है जो टेलीग्राम चैनल में दिखाई दे. यह एक वॉटरमार्क है. यह कोई तारीख और समय नहीं है. तारीख और समय वैसा ही दिखाई देता है जैसा कि पेज (याचिकाकर्ताओं के सबमिशन में) में दिखाई दे रहा है.
कोई 45 मिनट के लिए 75 हजार रुपये देता है?
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें चिंता इस बात की है कि उल्लंघन होने और परीक्षा के बीच कितना समय लगा? अगर समय अवधि 3 दिन है, तो जाहिर है कि खतरा ज्यादा है. क्या कोई 45 मिनट के लिए 75,000 रुपये देता है?
131 छात्र दोबारा से चाहते हैं परीक्षा - SG
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 131 ऐसे छात्र हैं जो री-टेस्ट चाहते हैं. जबकि 254 ऐसे छात्र भी हैं जो ऐसा नहीं चाहते. जो 131 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर नहीं आते हैं. जो 254 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर आते हैं लेकिन दोबारा परीक्षा नहीं चाहते हैं.
NTA ने सभी छात्रों का रिजल्ट घोषित नहीं किया - याचिकाकर्ता के वकील
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि NTA ने सभी अभ्यार्थियों का रिजल्ट घोषित नहीं किया है. जबकि दूसरी परीक्षाओं में ऐसा नहीं किया गया है. इसपर CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि सरकारी कॉलेजों में कितनी सीटें हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया कि कुल सीटों की संख्या 56 हजार हैं. ऐसे में कम से कम एक लाख छात्रों का रिजल्ट घोषित किया जाना चाहिए. इसपर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आपके हिसाब से कुछ लोग 1 लाख 8 हजार के केटेगरी में आ गए है? आप पहले फैक्ट्स पर बात करें. 1 लाख 8 हजार में कितने याचिकाकर्ता हैं ये भी पता चले. और इनमें से कितने छात्र अभी तक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं इसकी भी जानकारी होनी चाहिए.
बता दें कि, नीट यूजी एग्जाम का आयोजन पांच मई को किया गया था, जबकि इसके नतीजों का ऐलान 4 जून को हुआ. रिजल्ट सामने आने के बाद से ही पेपर लीक के आरोप लगने लगे.