महादेव की नगरी काशी में है नौ देवियों के नौ मंदिर, जानें किस क्षेत्र में कहां विराजती है माता

वाराणसी ही एक ऐसा शहर हैं जहां पर नौ देवियों और नौ गौरियों का अलग-अलग मंदिर हैं. आज हम आपको बताएंगे की किस देवी का मंदिर किस क्षेत्र में और कहां स्थित है...

महादेव की नगरी काशी में है नौ देवियों के नौ मंदिर, जानें किस क्षेत्र में कहां विराजती है माता

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है. माता के दर्शन को देश भर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. वहीं महादेव की नगरी काशी में भी लोग भक्ति की शक्ति में लीन है. वाराणसी ही एक ऐसा शहर हैं जहां पर नौ देवियों और नौ गौरियों का अलग-अलग मंदिर हैं. आज हम आपको बताएंगे की किस देवी का मंदिर किस क्षेत्र में और कहां स्थित है...

(1) शैलपुत्री

प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है और इसी दिन कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं, और काशी में इनका मंदिर मढिया घाट, अलईपुर (जैतपुरा थाना क्षेत्र) में स्थित है.

(2) ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। "ब्रह्म" का अर्थ है तप और "चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली. इनका मंदिर काल भैरव मंदिर के पीछे सजी मंडी की गली में है, जिसे वर्तमान में दुर्गा घाट के नाम से जाना जाता है.

(3) चंद्रघंटा

तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, जिससे उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. वाराणसी में इनका मंदिर चौक थाने के पास मजार के सामने वाली गली में है.

(4) कूष्मांडा

चतुर्थी तिथि पर देवी कूष्मांडा की पूजा होती है, जो दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं. माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से सभी पापों और कष्टों का नाश होता है. वाराणसी में इनका मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित विशाल कुंड के पास है, जिसका जल कभी सूखता नहीं और इसका संबंध मां गंगा से माना जाता है.

(5) स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंद, यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. काशी में इनका मंदिर जैतपुरा स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में है, जो सिर्फ नवरात्रि के दौरान पूरे दिन खुला रहता है.

(6) कात्यायनी

छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिनका मंदिर संकठा घाट पर स्थित है. स्कंद पुराण के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या के फलस्वरूप देवी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा.

(7) कालरात्रि

सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की पूजा होती है. ये देवी भक्तों को काल से भी सुरक्षा प्रदान करती हैं और अंधकारमय परिस्थितियों का नाश करती हैं. इनका मंदिर विश्वनाथ मंदिर के निकट कालिका गली में स्थित है.

(8) महागौरी

अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इनके दर्शन से पूर्व संचित सभी पापों का नाश हो जाता है. काशी में देवी अन्नपूर्णा को महागौरी का स्वरूप माना जाता है.

(9) सिद्धिदात्री

नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो भक्तों को समस्त सिद्धियां प्रदान करती हैं. वाराणसी में इनका मंदिर मैदागिन क्षेत्र के गोलघर इलाके में सिद्धमाता गली में स्थित है.