सड़कों पर दिव्यांग छात्र: हनुमान प्रसाद पोद्दार अंधविद्यालय को लेकर बनाई मानव श्रृंखला, कहा हमें अधिकार चाहिए...
श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार ट्रस्ट द्वारा संचालित दुर्गाकुंड स्थित अन्धविद्यालय में कक्षा नौ से लेकर 12 वीं तक की कक्षाएं बंद किए जाने से दृष्टि बाधित छात्र आंदोलनरत है। वह विभिन्न तरह से अपने विरोध दर्ज करा रहे है। सोमवार को वह मानव श्रृंखला बनाकर पीएम और सीएम से अपनी मांग की।
वाराणसी, भदैनी मिरर। दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंधविद्यालय में क्लास 9 से 12वीं तक की कक्षाएं पुनः शुरु करने की मांग को लेकर सैकड़ो दिव्यांग छात्रों ने दुर्गाकुंड परिक्षेत्र में मानव श्रृंखला बनाई। दिव्यांग छात्रों के चल रहे इस आंदोलन में सांझा संस्कृति मंच सहित कई छोटी-छोटी संस्थाएं भी आ गई है। दिव्यांग छात्रों ने शांतिपूर्ण ढंग से मानव श्रृंखला बनाई और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। करीब घण्टे भर बनाई गई मानव श्रृंखला की सूचना पर आसपास के चौकी प्रभारी संग फोर्स आ गई। इस दौरान यातायात सामान्य रखने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी।
बिना सूचना के बन्द हुआ अन्धविद्यालय
दिव्यांग छात्रों का कहना था कि पूर्व में भी सरकारें विकलांगों का नामकरण करती है, लेकिन जब पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी में किया तो यह उम्मीद थी की हमें हमारा अधिकार मिलेगा। लेकिन पीएम का दिया हुआ "दिव्यांग" शब्द केवल विकलांगता का एक दैवीय आवरण मात्र ही सिद्ध हो सका।आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में एक पूंजीपति अपनी ताकत का इस्तेमाल कर पूर्वांचल के सबसे बड़े अंधविद्यालय को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर रहा है और उसके खिलाफ एक भी शिकायत, अफसर से लेकर स्वयं प्रधानमंत्री तक कोई नही सुनता।
पांच राज्यों के छात्र आते है अंधविद्यालय
विकलांग अधिकार संघर्ष समिति का कहना था कि उत्तर प्रदेश में तकरीबन 18 लाख दृष्टि बाधित जनसंख्या है जबकि उसकी अपेक्षा उनके स्कूलों की संख्या काफी कम है। छात्रों ने कहा कि दृष्टिबाधितों के लिए स्कूल बढ़ाए जाने चाहिए थे लेकिन पूंजीपतियों की भूख इतनी बढ़ गई है कि उनकी भूख शांत करने के लिए दिव्यांगों के स्कूल बंद किए जा रहे हैं और सरकारें मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही हैं। छात्रों का कहना था कि श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय है जो श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा संचालित होता है। इसके सर्वेसर्वा बनारस के प्रसिद्ध पूंजीपति हैं। यह विद्यालय 1972 में बन कर कर तैयार हुआ और 1984 में दसवीं और 1992 में बारहवीं की सरकारी मान्यता भी प्राप्त हुई। यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा अंध विद्यालय है, यहां 250 विद्यार्थियों के पठन पाठन की आवासीय व्यवस्था है। केवल उत्तरप्रदेश ही नही बल्कि बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, असम आदि राज्यों से भी दृष्टिहीन छात्र यहां पढ़ने आतें हैं।
छात्रों की यह है मांगे
1- अंध विद्यालय को सरकार पूर्णतया अपने अधिकार क्षेत्र में ले और हमें हमारा अधिकार भीख या सेवा के बजाय अधिकार बोध के साथ प्रदान किया जाए।
2- विद्यालय से निकाले गए छात्रों को वापस दाखिल किया जाए और उनकी कक्षाओं और परीक्षाओं का उचित प्रबंध किया जाए।
3- तत्काल प्रभाव से विद्यालय को पुनः संचालित किया जाए।
यह रहे मानव श्रृंखला में उपस्थित
मानव श्रृंखला में मुख्य रूप से अभय शर्मा, संजीव सिंह , रामजनम, राकेश, गौरव, ओम शुक्ला, अर्जुन, दीपक, वकील भारतीय, गोपाल यादव, संतोष मिश्रा, आकाश रंजन, योगेंद्र राजभर, राकेश, यशवन्त ,सुनील यादव ,मनदीप शर्मा ,विकास भारतीय, मनीष , अफलातून, राजेन्द्र चौधरी, अभिनव, नीरज, प्रियेश, अनन्त मुरारी, जागृति राही, साक्षी, आदि लोग मौजूद रहे।
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